जम्मू-कश्मीर के कटरा में सीआरपीएफ जवान की आत्महत्या: मानसिक स्वास्थ्य और तनाव प्रबंधन पर उठे गंभीर सवाल
कटरा: जम्मू-कश्मीर के कटरा में मंगलवार को केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) के एक जवान ने अपनी सर्विस राइफल से खुद को गोली मारकर आत्महत्या कर ली, जिससे सुरक्षा बलों और उनके साथियों में शोक की लहर दौड़ गई। मृतक की पहचान 55 वर्षीय असिस्टेंट सब-इंस्पेक्टर (एएसआई) राजनाथ प्रसाद के रूप में हुई है, जो बिहार के पटना जिले के रहने वाले थे। राजनाथ प्रसाद 6वीं सीआरपीएफ बटालियन में तैनात थे और घटना के समय कटरा में ड्यूटी पर थे।
सुबह की ड्यूटी के दौरान उन्होंने अपनी सर्विस राइफल से खुद को गोली मार ली, जिससे वह गंभीर रूप से घायल हो गए। सूचना मिलते ही सीआरपीएफ के वरिष्ठ अधिकारी मौके पर पहुंचे और उन्हें तुरंत कटरा के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र ले जाया गया। हालांकि, चिकित्सकों ने जांच के बाद उन्हें मृत घोषित कर दिया। बताया जा रहा है कि गोली उनके सीने के पास लगी थी, जिससे उनकी मृत्यु हो गई।
सीआरपीएफ ने इस घटना की जांच शुरू कर दी है ताकि आत्महत्या के कारणों का पता लगाया जा सके। फिलहाल किसी प्रकार का सुसाइड नोट बरामद नहीं हुआ है, जिससे मामले को और गहराई से जांचा जा रहा है। वरिष्ठ अधिकारियों ने जवान के साथियों और उनके परिवार के सदस्यों से बातचीत कर उनके मानसिक और भावनात्मक हालात का आकलन करना शुरू कर दिया है।
जवान के परिवार और उनके साथियों के लिए यह घटना गहरा आघात लेकर आई है। बताया जा रहा है कि राजनाथ प्रसाद एक अनुभवी और समर्पित जवान थे, जिन्होंने अपनी जिम्मेदारियों को हमेशा प्राथमिकता दी थी। परिवार के सदस्यों को घटना की जानकारी दे दी गई है, और राजनाथ प्रसाद का शव उनके पैतृक गांव पटना भेजने की तैयारी की जा रही है।
यह उल्लेखनीय है कि अतीत में भी सुरक्षा बलों से जुड़े कई जवानों द्वारा आत्महत्या के मामले सामने आए हैं। इन घटनाओं ने सुरक्षा बलों में मानसिक स्वास्थ्य और तनाव प्रबंधन को लेकर गंभीर सवाल खड़े किए हैं। वरिष्ठ अधिकारियों ने घटना के बाद बयान देते हुए कहा कि संगठन मानसिक स्वास्थ्य को प्राथमिकता देने और जवानों के तनाव के स्तर को कम करने के लिए उपाय कर रहा है।
इस दुर्भाग्यपूर्ण घटना ने सुरक्षा बलों के आंतरिक स्वास्थ्य और उनकी व्यक्तिगत चुनौतियों पर प्रकाश डाला है। यह आवश्यक है कि इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए सुरक्षा बलों में मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं को मजबूत किया जाए और जवानों को उनकी जिम्मेदारियों के दौरान भावनात्मक सहायता प्रदान की जाए।