म्यांमार में भीषण भूकंप का कहर: 150 से अधिक मौतें, सैकड़ों घायल, मस्जिद और अस्पताल ध्वस्त, अंतरराष्ट्रीय सहायता की अपील
म्यांमार: मध्य म्यांमार के सागाइंग क्षेत्र में आए भीषण भूकंपों ने भारी तबाही मचाई है। सरकारी प्रसारक एमआरटीवी के अनुसार, शुक्रवार को आए छह भूकंपों में अब तक 150 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि सैकड़ों लोग घायल हुए हैं। इनमें सबसे शक्तिशाली भूकंप 7.7 तीव्रता का था, जिसने पूरे क्षेत्र में व्यापक विनाश किया। प्रभावित इलाकों में राजधानी नेपीता भी शामिल है, जहां एक अस्पताल में बड़े पैमाने पर नुकसान हुआ और कई मरीजों व स्वास्थ्यकर्मियों की जान चली गई। डॉक्टरों ने समाचार एजेंसी एएफपी को बताया कि यह इलाका “बड़े पैमाने पर हताहतों वाला क्षेत्र” बन सकता है, जिससे मृतकों की संख्या और बढ़ने की आशंका है।
इस त्रासदी में मांडले की एक मस्जिद भी ढह गई, जहां बड़ी संख्या में लोग नमाज अदा कर रहे थे। मस्जिद के अंदर मौजूद कई लोगों की मौके पर ही मौत हो गई, जबकि अन्य गंभीर रूप से घायल हुए हैं। इसी दौरान, मांडले के एक विश्वविद्यालय की इमारत में आग लग गई, जिससे वहां अफरा-तफरी मच गई। म्यांमार के जुंटा प्रमुख मिन आंग हलिंग ने इस आपदा को गंभीर मानते हुए ‘आपातकाल’ घोषित कर दिया है और अंतरराष्ट्रीय समुदाय से सहायता की अपील की है। उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा कि किसी भी देश या संगठन को आगे आकर मदद करनी चाहिए, ताकि हालात को जल्द से जल्द नियंत्रण में लाया जा सके।
भूकंप के झटके पड़ोसी देश थाईलैंड तक महसूस किए गए, जिससे वहां भी सतर्कता बढ़ा दी गई। उत्तरी थाईलैंड में झटकों के कारण कई मेट्रो और रेल सेवाएं निलंबित कर दी गईं। स्थिति की गंभीरता को देखते हुए थाई प्रधानमंत्री पैतोंगटार्न शिनवात्रा ने अपनी आधिकारिक यात्रा रद्द कर दी और फुकेत में आपातकालीन समीक्षा बैठक बुलाई। इसके बाद उन्होंने भी शहर में ‘आपातकाल’ घोषित कर दिया।
इस विनाशकारी आपदा से म्यांमार में जनजीवन पूरी तरह अस्त-व्यस्त हो गया है। भूकंप प्रभावित क्षेत्रों में राहत और बचाव कार्य तेजी से चल रहे हैं, लेकिन बड़ी संख्या में मलबे में दबे लोगों को निकालने के लिए अंतरराष्ट्रीय सहायता की आवश्यकता है। म्यांमार सरकार और स्थानीय एजेंसियां मिलकर राहत कार्यों को तेज करने में जुटी हैं, लेकिन बुनियादी ढांचे को हुए नुकसान के कारण हालात और भी विकट होते जा रहे हैं। इस भूकंप ने न केवल म्यांमार बल्कि पूरे दक्षिण पूर्व एशिया में चिंता बढ़ा दी है, क्योंकि लगातार झटकों से लोगों में दहशत का माहौल है।