“महापौर एजाज ढेबर ने कार्यकाल समाप्ति से इनकार कर नया विवाद खड़ा किया”

रायपुर :  रायपुर नगर पालिका निगम के निर्वाचित परिषद का कार्यकाल 5 जनवरी को समाप्त हो गया है, लेकिन महापौर एजाज ढेबर ने प्रशासक के हाथों में निगम का कामकाज सौंपने से स्पष्ट रूप से इंकार कर दिया, जिससे नया विवाद खड़ा हो गया है। महापौर ने अपने कार्यालय में पत्रकारों से बात करते हुए कहा कि वह अपने कार्यकाल को समाप्त नहीं मानते और चुनाव में हुई देरी की जिम्मेदारी स्वयं पर नहीं डालते। एजाज ढेबर का कहना था कि 70 पार्षदों को जनता ने चुना है, और शहर को प्रशासक के हवाले करना रायपुर के लोगों की इच्छा का उल्लंघन होगा। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि वह रायपुर शहर के सभी वार्डों के कार्यों पर निगरानी जारी रखेंगे, और जैसे ही नई परिषद का गठन होगा, वे अपना कार्य उन्हें सौंप देंगे।

महापौर ने इसके साथ ही अपने कार्यकाल के समापन पर यह भी कहा कि उन्होंने डंके की चोट पर बिना किसी पक्षपात या भेदभाव के काम किया। ढेबर ने यह भी दावा किया कि बीजेपी द्वारा उनके खिलाफ भ्रष्टाचार के कई आरोप लगाए गए, लेकिन पांच साल के दौरान वे एक भी आरोप साबित करने में सफल नहीं हो पाए। महापौर ने अपनी मुस्लिम पहचान के बारे में उठाए गए सवालों का भी सामना किया और कहा कि जब उन्हें महापौर चुना गया तो कुछ लोग कह रहे थे कि “मुस्लिम महापौर बन गया” और पूछा जा रहा था, “मुसलमान होना पाप है?” परंतु एजाज ढेबर ने बिना जात-पात, भेदभाव के सभी नागरिकों के लिए काम करने पर जोर दिया।

यह बयान और विरोधाभास एक जटिल राजनीतिक परिपेक्ष्य को उजागर करते हैं, जहां महापौर ने अपने कार्यकाल को खत्म करने के बजाय वर्तमान समय में भी जारी रखने का फैसला किया। यह स्थिति स्थानीय राजनीति और प्रशासन में उथल-पुथल का कारण बन सकती है, क्योंकि यह प्रशासक और निर्वाचित प्रतिनिधि के अधिकारों के बीच एक विवाद को जन्म देती है।