सुप्रीम कोर्ट के अहम निर्देश: लखीमपुर खीरी हिंसा मामले में गवाहों की सुरक्षा पर विशेष जोर, निष्पक्ष जांच के आदेश
नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने लखीमपुर खीरी हिंसा मामले में एक महत्वपूर्ण आदेश जारी करते हुए मामले से जुड़े गवाहों की सुरक्षा सुनिश्चित करने पर बल दिया है। अदालत ने स्पष्ट किया है कि यदि किसी गवाह को धमकी दी जाती है या किसी भी प्रकार का दबाव बनाया जाता है, तो उसे तुरंत पुलिस में शिकायत दर्ज करानी चाहिए। इसके साथ ही कोर्ट ने उत्तर प्रदेश पुलिस को इस मामले की पूरी निष्पक्षता के साथ जांच करने का निर्देश दिया है, ताकि किसी भी तरह की पूर्वधारणाओं से प्रभावित हुए बिना न्याय प्रक्रिया आगे बढ़ सके।
इस मामले में एक महत्वपूर्ण घटनाक्रम तब सामने आया जब एक चश्मदीद गवाह ने सुप्रीम कोर्ट के समक्ष आरोप लगाया कि उसे पूर्व केंद्रीय मंत्री अजय कुमार मिश्रा के बेटे आशीष मिश्रा के खिलाफ गवाही देने के चलते धमकाया जा रहा है। इस आरोप को गंभीरता से लेते हुए जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस एन. कोटिश्वर सिंह की पीठ ने यूपी पुलिस को आदेश दिया कि वह इस मामले की निष्पक्ष जांच करे और सुनिश्चित करे कि किसी भी गवाह को किसी भी तरह से प्रभावित करने की कोशिश न की जाए। इसके अलावा, अदालत ने कहा कि यदि आवश्यक हो, तो पुलिस नई स्थिति रिपोर्ट भी दाखिल कर सकती है।
हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने जनवरी 2024 में आशीष मिश्रा को दी गई जमानत रद्द करने से इनकार कर दिया। अदालत ने उन्हें 5 और 6 अप्रैल को रामनवमी के अवसर पर लखीमपुर खीरी में अपने परिवार से मिलने की अनुमति दी, लेकिन साथ ही यह निर्देश भी दिया कि वह 7 अप्रैल को शाम 5 बजे से पहले लखीमपुर खीरी छोड़कर लखनऊ लौट जाएं और किसी भी राजनीतिक गतिविधि से दूर रहें।
इस बीच, यूपी पुलिस ने अपनी स्थिति रिपोर्ट में दावा किया कि मिश्रा पर गवाहों को प्रभावित करने के आरोप गलत हैं। पुलिस का कहना है कि जो तस्वीरें सबूत के तौर पर पेश की गई हैं, वे पुरानी हैं और उन्हें गुमराह करने के उद्देश्य से हाल की तस्वीरों के रूप में पेश किया गया।
अदालत ने इस मामले की अगली सुनवाई 16 अप्रैल के बाद तक स्थगित कर दी, क्योंकि यह मामला अब ट्रायल कोर्ट में आगे बढ़ने वाला है। पीड़ितों की ओर से पेश वकील प्रशांत भूषण ने सुप्रीम कोर्ट में दलील दी कि गवाहों को धमकाए जाने की घटनाएं बेहद गंभीर हैं और इसलिए उन्होंने आशीष मिश्रा की जमानत रद्द करने की मांग की।
लखीमपुर खीरी हिंसा: क्या था पूरा मामला?
यह मामला 3 अक्टूबर 2021 को उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी जिले के तिकुनिया क्षेत्र में हुई हिंसा से जुड़ा है। उस दिन किसान उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य के दौरे के खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर रहे थे। इसी दौरान एक स्पोर्ट्स यूटिलिटी व्हीकल (SUV) ने चार किसानों को कुचल दिया, जिससे उनकी मौत हो गई। इस घटना के बाद गुस्साए किसानों ने एक ड्राइवर और दो भाजपा कार्यकर्ताओं को पीट-पीटकर मार डाला। इस हिंसा में एक पत्रकार की भी मौत हो गई थी।
मामले की कानूनी स्थिति और आगामी सुनवाई
दिसंबर 2023 में ट्रायल कोर्ट ने इस मामले में आशीष मिश्रा और 12 अन्य लोगों के खिलाफ हत्या, आपराधिक साजिश और अन्य गंभीर धाराओं के तहत आरोप तय किए। इसके बाद इस मामले की सुनवाई का रास्ता साफ हो गया। सुप्रीम कोर्ट ने पहले ही इस केस को लेकर गवाहों की सुरक्षा और निष्पक्ष जांच पर जोर दिया है।
अब यह देखना दिलचस्प होगा कि 16 अप्रैल के बाद इस मामले में आगे क्या कार्रवाई होती है। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट के ताजा आदेशों से यह स्पष्ट है कि अदालत इस केस में कानूनी प्रक्रिया को पारदर्शी और निष्पक्ष बनाए रखने के लिए हरसंभव कदम उठा रही है।