हौसले की उड़ान: 59 साल की वासंती चेरुवेटिल ने बिना प्रोफेशनल ट्रेनिंग एवरेस्ट बेस कैंप फतह कर रचा इतिहास

59 साल की वासंती चेरुवेटिल ने यह साबित कर दिया कि अगर हौसले बुलंद हों, तो उम्र कोई बाधा नहीं होती। केरल के किन्नौर की रहने वाली वासंती ने अपने साहस और इच्छाशक्ति से एवरेस्ट बेस कैंप तक पहुंचकर इतिहास रच दिया। उनकी यह उपलब्धि इसलिए और भी खास बन जाती है क्योंकि उन्होंने बिना किसी प्रोफेशनल ट्रेनिंग के यह कठिन सफर तय किया। पति के निधन के बाद वासंती ने अपने जीवनयापन के लिए सिलाई का काम शुरू किया, लेकिन उनकी रुचि यात्रा और पर्वतारोहण में थी। इसी जुनून ने उन्हें दुनिया की सबसे ऊंची चोटी माउंट एवरेस्ट के बेस कैंप तक पहुंचने के लिए प्रेरित किया।

वासंती ने किसी पेशेवर ट्रेनर की मदद लिए बिना, केवल यूट्यूब पर उपलब्ध गाइड्स को देखकर खुद को तैयार किया। उन्होंने चार महीनों तक घर पर ही ट्रेनिंग ली और खुद को मानसिक और शारीरिक रूप से मजबूत बनाया। इस दौरान वह प्रतिदिन कुछ घंटे पैदल चलती थीं, ट्रैकिंग बूट पहनकर अभ्यास करती थीं और दोस्तों के साथ पांच से छह किलोमीटर तक वॉक किया करती थीं। इसके अलावा, एक्सरसाइज और फिटनेस को अपनी दिनचर्या का हिस्सा बना लिया। हालांकि, जब उन्होंने एवरेस्ट बेस कैंप पर चढ़ाई करने की तैयारी शुरू की, तो कई लोगों ने उन पर हंसने और उनका मजाक उड़ाने में कोई कसर नहीं छोड़ी। लेकिन वासंती ने किसी की परवाह नहीं की और अपने लक्ष्य की ओर बढ़ती रहीं।

वासंती ने 15 फरवरी 2025 को नेपाल से अपने इस साहसिक सफर की शुरुआत की। कठिन परिस्थितियों और चुनौतियों के बावजूद, उन्होंने लगातार नौ दिनों तक ट्रैकिंग की और 23 फरवरी को 5364 मीटर की ऊंचाई पर स्थित एवरेस्ट के साउथ बेस कैंप तक पहुंचने में सफल रहीं। इस दौरान उन्होंने प्रतिदिन छह से सात घंटे पैदल चलकर अपने सफर को पूरा किया। रास्ते में उन्हें दुनिया भर के ट्रैकर्स से मिलने का अवसर भी मिला, जिनमें भारत से आए एक पिता-पुत्र की जोड़ी भी शामिल थी।

वासंती के लिए यह यात्रा सिर्फ एक रोमांचक ट्रेक नहीं थी, बल्कि यह उनके आत्मविश्वास और दृढ़ निश्चय की परीक्षा थी। जब उन्होंने एवरेस्ट बेस कैंप तक पहुंचने का सपना देखा था, तब शायद किसी ने यह नहीं सोचा होगा कि वह सच में इसे पूरा कर पाएंगी। लेकिन 23 फरवरी को जब उन्होंने पारंपरिक केरल कसावु साड़ी पहनकर भारतीय ध्वज फहराया, तो उन्होंने पूरे देश को गौरवान्वित कर दिया। यह पहली बार नहीं था जब वासंती ने अपने हौसले और जुनून से सभी को चौंका दिया। इससे पहले, मई 2024 में, उन्होंने अकेले थाईलैंड की यात्रा भी की थी, जिससे यह साबित होता है कि उम्र केवल एक संख्या है और इच्छाशक्ति के आगे हर बाधा छोटी पड़ जाती है।

वासंती चेरुवेटिल की यह यात्रा उन सभी लोगों के लिए प्रेरणा है, जो अपने सपनों को पूरा करने से पहले उम्र, समाज और परिस्थितियों का बहाना बनाते हैं। उन्होंने यह दिखा दिया कि अगर मन में कुछ करने की ठान ली जाए, तो कोई भी मंजिल मुश्किल नहीं होती।