“2000 करोड़ के शराब घोटाले में ईडी ने पूर्व मंत्री कवासी लखमा और उनके बेटे हरीश लखमा को किया गिरफ्तार”
रायपुर: छत्तीसगढ़ में 2000 करोड़ रुपये के शराब घोटाले में प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने अब तक कई अहम गिरफ्तारियां की हैं। आज, तीसरी बार पूर्व आबकारी मंत्री कवासी लखमा और उनके बेटे हरीश लखमा को ईडी ने पूछताछ के लिए बुलाया था। पूछताछ के बाद, दोनों को गिरफ्तार कर लिया गया, और अब ईडी उन्हें कोर्ट में पेश करने की तैयारी कर रही है। इस मामले में पहले भी 28 दिसंबर को ईडी ने कवासी लखमा और उनके बेटे हरीश लखमा के ठिकानों पर छापेमारी की थी, जिसमें नगद लेन-देन के कुछ सबूत मिले थे।
खबर के अनुसार, शराब घोटाले में 2017 में आबकारी नीति में बदलाव के बाद राज्य सरकार द्वारा चलाई जाने वाली शराब वितरण व्यवस्था में बड़े स्तर पर भ्रष्टाचार हुआ था। आरोप है कि शराब वितरण को निजी हाथों में सौंपने के लिए कुछ प्रमुख राजनीतिज्ञों, अधिकारियों और कारोबारियों के बीच मिलीभगत हुई। मामले की केंद्रीय जांच एजेंसियों द्वारा 18 नवंबर 2022 को पीएमएलए एक्ट के तहत कार्रवाई शुरू की गई थी। अब तक के विवेचनाओं में, राज्य के सरकारी खजाने को इस घोटाले से भारी नुकसान हुआ, और घोटाले का आंकड़ा 2161 करोड़ रुपये तक पहुंच चुका है।
ईडी की चार्जशीट के मुताबिक, इस शराब घोटाले में कुख्यात सिंडिकेट को चलाने वाले अनवर ढेबर ने CSMCL के MD के तौर पर अरुणपति त्रिपाठी को नियुक्त किया था। इसके बाद, अधिकारियों और राजनीतिज्ञों की मदद से, देशी शराब पर 75 रुपये प्रति केस की कमीशन तय की गई और बड़ी मात्रा में नकली होलोग्राम लगाकर अवैध शराब की बिक्री की जाने लगी। इससे राज्य के राजस्व को न केवल नुकसान हुआ, बल्कि बड़ी मात्रा में कर चोरी भी हुई। इस घोटाले में मुख्य रूप से शराब वितरण को नियंत्रित करने वाले ग्रुप, जैसे कि केडिया, भाटिया और वेलकम ग्रुप के हित जुड़े हुए थे।
अब तक, छत्तीसगढ़ के इस शराब घोटाले में कई राजनीतिक और प्रशासनिक अधिकारियों का नाम सामने आ चुका है, और जांच में कई प्रमुख राजनेताओं की संलिप्तता के संकेत मिल रहे हैं। ईडी की इस कार्रवाई से यह मामला और भी गहरे राजनैतिक और कानूनी विवादों में फंसता हुआ नजर आ रहा है, जिसे अब न्यायालय में गंभीर रूप से सुना जाएगा।