मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने जल संसाधन एवं लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग की महत्वपूर्ण बैठक में जल प्रबंधन, पेयजल आपूर्ति और सिंचाई योजनाओं की समीक्षा की

रायपुर:  छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने जल संसाधन एवं लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग की एक अहम बैठक की अध्यक्षता की। यह बैठक नवा रायपुर स्थित मंत्रालय, महानदी भवन में आयोजित की गई, जिसमें प्रदेश के जल संसाधन और पेयजल आपूर्ति से जुड़ी विभिन्न योजनाओं और विकास कार्यों की समीक्षा की गई। बैठक में अधिकारियों ने राज्य में जल प्रबंधन, जल संरक्षण तथा पेयजल आपूर्ति की वर्तमान स्थिति पर विस्तृत रिपोर्ट प्रस्तुत की। मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को निर्देश दिया कि जल संसाधनों के सतत विकास के लिए प्रभावी योजनाएं लागू की जाएं, ताकि ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में स्वच्छ पेयजल की उपलब्धता सुनिश्चित हो सके।

इस अवसर पर जल संसाधन विभाग द्वारा संचालित सिंचाई परियोजनाओं की समीक्षा भी की गई, जिसमें प्रमुख बांधों, नहरों और जलाशयों की वर्तमान स्थिति पर चर्चा की गई। मुख्यमंत्री ने यह निर्देश दिया कि जलाशयों की क्षमता बढ़ाने और वर्षा जल संचयन की तकनीकों को अपनाने के लिए विशेष प्रयास किए जाएं। उन्होंने कहा कि किसानों को पर्याप्त सिंचाई सुविधा मिले, इसके लिए योजनाओं को गति दी जाए और लंबित परियोजनाओं को प्राथमिकता के आधार पर पूरा किया जाए।

लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग से जुड़ी चर्चा के दौरान मुख्यमंत्री ने ग्रामीण क्षेत्रों में शुद्ध पेयजल आपूर्ति को लेकर गंभीरता जताई और अधिकारियों को निर्देश दिया कि जल गुणवत्ता जांच को प्राथमिकता दी जाए, ताकि लोगों को स्वच्छ और सुरक्षित पेयजल उपलब्ध हो सके। उन्होंने हैंडपंपों और पाइपलाइन योजनाओं की प्रगति की समीक्षा करते हुए यह भी कहा कि गर्मी के मौसम में जल संकट की संभावनाओं को देखते हुए पहले से तैयारी कर ली जाए, ताकि किसी भी क्षेत्र में जल आपूर्ति बाधित न हो।

बैठक में जल संसाधन मंत्री, लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग के वरिष्ठ अधिकारी, प्रमुख अभियंता और अन्य संबंधित विभागों के अधिकारी उपस्थित थे। मुख्यमंत्री ने सभी संबंधित विभागों को आपसी समन्वय के साथ कार्य करने के निर्देश दिए, जिससे प्रदेश में जल संरक्षण और प्रबंधन को लेकर ठोस कदम उठाए जा सकें। उन्होंने कहा कि सरकार जल संसाधनों के कुशल प्रबंधन के लिए हरसंभव प्रयास कर रही है और इसके लिए नई तकनीकों का भी इस्तेमाल किया जाएगा, जिससे छत्तीसगढ़ के नागरिकों को बेहतर जल सुविधाएं मिल सकें।