केआईआईटी विश्वविद्यालय में आत्महत्या करने वाली नेपाली छात्रा के मामले में बड़ा खुलासा, 11 महीने पहले की थी शिकायत, सरकार ने शुरू की जांच
भुवनेश्वर: केआईआईटी (कलिंगा इंस्टीट्यूट ऑफ इंडस्ट्रियल टेक्नोलॉजी) विश्वविद्यालय में पढ़ने वाली 20 वर्षीय नेपाली छात्रा की आत्महत्या के मामले में बड़ा अपडेट सामने आया है। ओडिशा के उच्च शिक्षा मंत्री सूर्यवंशी सूरज ने शुक्रवार को विधानसभा में खुलासा किया कि छात्रा ने अपनी मौत से करीब 11 महीने पहले 12 मार्च 2024 को विश्वविद्यालय प्रशासन के सामने यौन उत्पीड़न की शिकायत दर्ज कराई थी, लेकिन इस पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई। मंत्री ने यह जानकारी कांग्रेस विधायक दशरथी गोमंगा के लिखित प्रश्न के उत्तर में दी। इस मामले के उजागर होने के बाद सरकार ने जांच के लिए एक उच्च स्तरीय समिति गठित की, जिसके सामने अब तक 19 लोग पेश होकर अपने बयान दर्ज करा चुके हैं।
छात्रा का शव 16 फरवरी 2025 को उसके छात्रावास के कमरे में मिला था। पुलिस के मुताबिक, उसने कथित तौर पर यौन उत्पीड़न की शिकायत पर कार्रवाई न होने से निराश होकर आत्महत्या कर ली। इस घटना के बाद विश्वविद्यालय परिसर में भारी विरोध प्रदर्शन हुआ था, जिसमें छात्रों ने न्याय की मांग की थी। लेकिन विश्वविद्यालय प्रशासन ने प्रदर्शनकारियों को जबरन बाहर निकाल दिया और उन्हें बिना टिकट कटक रेलवे स्टेशन पर छोड़ दिया। इससे छात्रों में आक्रोश और बढ़ गया और मामला अंतरराष्ट्रीय स्तर पर नेपाल सरकार तक पहुंच गया। नेपाल सरकार को भी इस मामले में भारत से हस्तक्षेप करने की गुहार लगानी पड़ी।
छात्रा की मौत के बाद पुलिस ने विश्वविद्यालय के एक छात्र को आत्महत्या के लिए उकसाने के आरोप में गिरफ्तार किया था। वहीं, ओडिशा सरकार ने केआईआईटी विश्वविद्यालय से यूजीसी (विश्वविद्यालय अनुदान आयोग) के दिशा-निर्देशों के अनुसार गठित आंतरिक समिति के दस्तावेज मांगे हैं। मंत्री ने यह भी स्पष्ट किया कि सरकार ने पिछले वित्तीय वर्ष के दौरान केआईआईटी विश्वविद्यालय को कोई अनुदान नहीं दिया। इस बीच, भाजपा विधायक ओम प्रकाश मिश्रा ने विश्वविद्यालय में कार्यरत सेवानिवृत्त आईएएस, आईपीएस और अन्य सरकारी अधिकारियों के वेतन और ज्वाइनिंग तिथि से संबंधित जानकारी भी मांगी है, जिस पर मंत्री ने कहा कि डेटा एकत्र किया जा रहा है।
इस पूरे घटनाक्रम ने विश्वविद्यालय प्रशासन की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े कर दिए हैं। एक छात्रा द्वारा यौन उत्पीड़न की शिकायत करने के बावजूद उस पर उचित कार्रवाई न किया जाना, और उसके बाद आत्महत्या जैसी गंभीर घटना का घटित होना यह दर्शाता है कि महिलाओं की सुरक्षा और न्याय को लेकर अब भी कई खामियां बनी हुई हैं। मामले की निष्पक्ष जांच और दोषियों को सख्त सजा दिलाने की मांग लगातार बढ़ रही है