ISRO: भारतीय अंतरिक्ष अभियान को मजबूती, क्रायोजेनिक इंजन की हॉट टेस्टिंग सफल, जल्द लॉन्च व्हीकल मार्क-3 में होगा शामिल
बंगलूरू: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने एक और महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल करते हुए अपने क्रायोजेनिक इंजन की हॉट टेस्टिंग को सफलतापूर्वक पूरा कर लिया है। यह परीक्षण तमिलनाडु के महेंद्रगिरी स्थित इसरो प्रोपल्शन कॉम्पलेक्स में किया गया। जिस क्रायोजेनिक इंजन की टेस्टिंग की गई, वह इसरो के लॉन्च व्हीकल मार्क-3 (LVM3) के ऊपरी चरण में लगाया जाएगा। LVM3 एक अत्याधुनिक त्रि-स्तरीय मध्यम भार वहन करने वाला लॉन्च व्हीकल है, जिसे पूरी तरह से इसरो ने ही विकसित किया है। इस परीक्षण के दौरान इंजन को 100 सेकंड तक निर्वात रहित (वैक्यूम) स्थिति में रखा गया और नोजल प्रोटेक्शन सिस्टम का उपयोग किया गया। इसरो के अनुसार, यह परीक्षण अंतरिक्ष अभियानों के लिए बेहद आवश्यक है, क्योंकि हर मिशन से पहले क्रायोजेनिक इंजन को हॉट टेस्टिंग प्रक्रिया से गुजरना होता है।
इस सफल परीक्षण का एक प्रमुख लाभ यह होगा कि क्रायोजेनिक इंजन की उड़ान के समय आवश्यक सेटअप अवधि को काफी हद तक कम किया जा सकेगा। इससे इसरो के अंतरिक्ष अभियानों की योजना में तेजी आएगी और क्रायोजेनिक चरणों की डिलीवरी अधिक सुगम हो जाएगी। इसरो ने स्पष्ट किया कि परीक्षण के दौरान क्रायोजेनिक इंजन ने सभी अपेक्षित उद्देश्यों को सफलतापूर्वक पूरा किया, जिससे इसकी कार्यक्षमता और विश्वसनीयता प्रमाणित हुई।
LVM3 को इस साल के मध्य में लॉन्च किए जाने की योजना है। यह इसरो का सबसे उन्नत और शक्तिशाली हैवी लिफ्ट लॉन्च व्हीकल है, जो 4000 किलोग्राम तक के पेलोड को जियोसिंक्रोनस ट्रांसफर ऑर्बिट (GTO) में स्थापित करने में सक्षम है। LVM3 एक तीन-स्तरीय संरचना पर आधारित है, जिसमें दो ठोस प्रणोदक S200 स्ट्रैप-ऑन बूस्टर, L110 लिक्विड स्टेज, C25 क्रायोजेनिक स्टेज, उपकरण बे (EB) और एनकैप्सुलेटेड असेंबली (EA) शामिल हैं। इस अत्याधुनिक तकनीक के माध्यम से इसरो अंतरिक्ष अभियानों में नए आयाम स्थापित करने के लिए तैयार है, जिससे भारत की अंतरिक्ष विज्ञान में पकड़ और मजबूत होगी।