ग्रामीणजनों की आजीविका के लिए संभावनाएं तलाशने की जरूरत – कलेक्टर
ग्रामवासियों के जीवन स्तर को उन्नत बनाने के लिए रोड मैप बनाएं
वन अधिकार अधिनियम तथा ग्रामीणजनों की आजीविका बढ़ाने के लिए कार्ययोजना तैयार करने के संबंध में एनजीओ की बैठक संपन्न
राजनांदगांव :- कलेक्टर तारन प्रकाश सिन्हा ने आज कलेक्टोरेट सभाकक्ष में वन अधिकार अधिनियम तथा ग्रामीणजनों की आजीविका बढ़ाने के लिए कार्य योजना तैयार करने के संबंध में जिले में कार्यरत स्वयंसेवी संस्थाओं की बैठक ली।
कलेक्टर ने कहा कि वनांचल क्षेत्रों में ग्रामवासियों की आजीविका के लिए रोड मैप बनायें और उनका जीवन स्तर उन्नत बनाने के लिए संभावनाएं तलाशें। मानपुर जैसे सुदूर वनांचल क्षेत्रों में चार से चिरौंजी, शहद जैसे लघुवनोपज तथा कोदो, कुटकी, रागी बहुतायत है।
मानपुर में कुपोषित बच्चों एवं एनीमिक महिलाओं के लिए सघन सुपोषण अभियान चलाया गया है। लघुवनोपज से बच्चों के लिए पौष्टिक आहार स्वसहायता समूह की महिलाएं बना सकती हैं। इसके लिए उत्पादों का मार्केट लिंकेज होना जरूरी है। कृषि उत्पादक संगठन (एफपीओ) योजना के तहत ग्रामीण क्षेत्रों के किसान लाभान्वित होंगे। शासन की नरवा, गरवा, घुरवा, बाड़ी योजना तथा एफआरए के तहत ग्रामीण क्षेत्रों में आजीविका विकास के लिए असीम संभावनाएं है।
कलेक्टर सिन्हा ने कहा कि एनजीओ के स्थानीय होने का लाभ किसानों को मिलेगा। गोधन न्याय योजना, एफपीओ कैच द रेन अभियान, जल जीवन मिशन, पोषण आहार जैसी योजनाओं के प्रति जागरूकता लाने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि जल जीवन मिशन के तहत ग्रामीण जनों को प्रशिक्षित करें ताकि नल एवं उपकरण का मेन्टनेंस एवं पानी परीक्षण कर सके।
कलेक्टर ने कहा कि जिले के गौठान की महिलाओं को मास्क बनाने एवं सिलाई की गतिविधियों में प्रशिक्षित करें तथा मार्केटिंग लिंकेज करें। ग्रामीण क्षेत्रों के लोगों की मदद करें। स्वयंसेवी संस्थाएं वित्तीय साक्षरता के लिए कार्य करें ताकि ग्रामीण जनता चिटफंड कंपनी के झांसे में न आए।
जिला पंचायत सीईओ लोकेश चंद्राकर ने कहा कि स्वयंसेवी संस्थाओं के स्थानीय स्तर पर कार्य करने की वजह से ग्रामीणजनों के आर्थिक हित तथा पर्यावरण के महत्व को समझते हैं। समन्वित ढंग से कार्य करते हुए दायरा बढ़ा सकते हैं। उन्होंने कहा कि गौठान समिति को जागृत करना है और लोगों को जोडऩा है।
इस अवसर पर फांउडेशन फार ईकोलॉजिकल सिक्योरिटी (एफईएस) की प्रोग्राम मैनेजर मंजीत उपस्थित थी। फांउडेशन फार ईकोलॉजिकल सिक्योरिटी (एफईएस) की राज्य समन्वयक नमिता मिश्रा ने प्रजेन्टेशन के माध्यम से ग्रामीण क्षेत्रों में आर्थिक अवसरों को बढ़ाने के संबंध में जानकारी दी।
उन्होंने बताया कि संस्था द्वारा इकोलॉजिकल रेस्टोरेशन भू व जल संसाधनों के संरक्षण हेतु समन्वित प्रयास किए जा रहे हैं। उन्होंने पेसा ब्लॉक मानपुर, मोहला, अंबागढ़ चौकी में सामुदायिक वन अधिकार संभावना, संसाधन का संरक्षण और पुर्नस्थापना, आर्थिक अवसर, एकीकृत गांव विकास योजना, गांव कलस्टर पर पौध नर्सरी, वन उत्पाद से पोषण, बांस आधारित उद्योग संभावना के संबंध में जानकारी दी।
उन्होंने वन एवं वन आधारित आजीविका पर रोड मैप बनाने की तैयारी के संबंध में जानकारी दी। सृजन स्वयंसेवी संस्था के प्रतिनिधि शरद श्रीवास्तव ने बताया कि संस्था द्वारा स्वास्थ्य पोषण एवं जीविकोपार्जन की दिशा में कार्य किया जा रहा है। जागरूकता के साथ व्यवहार परिवर्तन पर ध्यान देने की जरूरत है। रूचि महिला मंडल की प्रतिनिधि रचना शर्मा ने कहा कि वे बिहान की महिलाओं को मास्क निर्माण एवं सिलाई के लिए प्रेरित कर रही हैं और उनके बनाए उत्पादों की मार्केटिंग भी कर रही है।
समर्थन स्वयंसेवी संस्था के प्रतिनिधि राजेश साहू ने कहा कि वन आधारित आजीविका में बहुत संभावना है। इसके लिए जंगल से अजीविका और जंगल से आजीविका की ओर जाना होगा। रोजगार के साधन ऐसे होना चाहिए कि जंगल का संवर्धन हो और सुराजी जंगल की ओर ले जाना है। नये तरीके से इसके लिए कार्य करना होगा। गौठान में सीडबॉल का वितरण कर सामुदायिक वन नर्सरी का निर्माण करना है। सामुदायिक वानिकी, बेलदार सब्जी, उन्नत चूल्हा, वृक्षों की सुरक्षा के संबंध में उन्होंने बातें कही।
जनकल्याण सामाजिक संस्था के प्रतिनिधि ने बताया कि संस्थान द्वारा स्वास्थ्य, एफआरए, पेंशन, आवास के संबंध में लोगों की मदद कर रही है। समर्थ चेरिटेबल ट्रस्ट के प्रतिनिधि ने बताया कि बच्चों के लिए कार्य किया जा रहा है। इस अवसर पर कार्यपालन अभियंता लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी एसएन पाण्डेय एवं एनजीओ के प्रतिनिधि उपस्थित थे।