छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की सियासी उठापटक तेज, PCC चीफ बदलने की अटकलें, भूपेश बघेल ने कहा – ‘यह हाईकमान का विषय’
रायपुर : छत्तीसगढ़ में हाल ही में संपन्न हुए नगरीय निकाय चुनावों के नतीजों के बाद प्रदेश कांग्रेस कमेटी (PCC) के अध्यक्ष पद को लेकर हलचल तेज हो गई है। पार्टी के भीतर बदलाव की चर्चाओं के बीच पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता भूपेश बघेल ने कहा कि प्रदेश अध्यक्ष जैसे महत्वपूर्ण पदों पर नियुक्ति का फैसला कांग्रेस हाईकमान लेता है। उन्होंने कहा, “अगर हमसे राय ली जाती है तो हम अपनी बात रखते हैं, लेकिन अंतिम निर्णय पार्टी नेतृत्व का होता है।”
चुनावी हार के बाद इस्तीफे की मांग और भाजपा पर आरोप
चुनाव में कांग्रेस के कमजोर प्रदर्शन के बाद पार्टी के भीतर जिला और प्रदेश स्तर पर नेतृत्व परिवर्तन की मांग उठ रही है। कांग्रेस नेता और पूर्व मंत्री शिव कुमार डहरिया ने इस पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा, “चुनाव में हार के बाद इस तरह की चर्चाएं आम हैं। इस तरह के चुनावों में सत्ता पक्ष को स्वाभाविक बढ़त मिलती है, लेकिन भाजपा ने सत्ता का खुला दुरुपयोग किया।”
डहरिया ने भाजपा पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि चुनाव के दौरान डराने-धमकाने की कोशिश की गई, शराब और पैसे बांटे गए और भाजपा प्रत्याशियों को नोट बांटते हुए भी पकड़ा गया। उन्होंने दावा किया कि सत्ता के दबाव और चुनावी धांधली के कारण कांग्रेस को नुकसान हुआ।
कांग्रेस में आपसी कलह और धर्मांतरण का मुद्दा
कांग्रेस के आंतरिक झगड़ों और कमजोर संगठनात्मक स्थिति पर सवाल उठाए जा रहे हैं। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष अरुण साव ने इसे जनता के लिए परेशानी की वजह बताया। इस पर कांग्रेस नेता शिव डहरिया ने जवाब देते हुए कहा कि “धर्मांतरण का मुद्दा भाजपा का चुनावी शिगूफा है। रमन सिंह के कार्यकाल में सबसे ज्यादा धर्मांतरण हुए थे, लेकिन भाजपा अब इसे कांग्रेस सरकार के खिलाफ हथियार बना रही है।”
उन्होंने आगे कहा कि “हमारे कार्यकाल में गिने-चुने धर्मांतरण की घटनाएं सामने आई थीं, लेकिन उन पर तत्काल कार्रवाई की गई। भाजपा इसे तूल देकर राजनीतिक फायदा उठाना चाहती है।”
भाजपा और कांग्रेस में बढ़ती तल्खी
कांग्रेस और भाजपा के बीच जुबानी जंग तेज हो गई है। भाजपा जहां कांग्रेस को आपसी गुटबाजी के कारण कमजोर बता रही है, वहीं कांग्रेस भाजपा पर चुनावों को प्रभावित करने के लिए सत्ता और प्रशासन का दुरुपयोग करने का आरोप लगा रही है।
अब यह देखना दिलचस्प होगा कि कांग्रेस नेतृत्व पीसीसी चीफ को बदलने को लेकर क्या फैसला लेता है और आने वाले समय में छत्तीसगढ़ की राजनीति में यह मुद्दा क्या नया मोड़ लेता है।