विधानसभा में गरमाया एनओसी मुद्दा: राजेश मूणत ने मंत्री पर पुराने जवाब दोहराने का लगाया आरोप, पारदर्शिता की मांग

रायपुर :  छत्तीसगढ़ विधानसभा के बजट सत्र का दूसरा दिन भी गहमागहमी भरा रहा, जहां विभिन्न मुद्दों पर सवाल-जवाब और चर्चाओं का दौर जारी रहा। कार्यवाही की शुरुआत पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के निधन पर शोक व्यक्त करने और उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करने से हुई। इसके बाद प्रश्नकाल में कटघोरा विधायक प्रेमचंद पटेल ने कटघोरा वनमंडल में वन विभाग के अधीन स्वीकृत कार्यों की जानकारी मांगी, जिस पर वन मंत्री केदार कश्यप ने बताया कि अब तक 5,346 कार्य स्वीकृत किए गए हैं, जिनमें से 3,019 कार्य पूरे हो चुके हैं और शेष कार्यों को शीघ्र पूरा करने की योजना बनाई जा रही है। विधायक पटेल ने निर्माण कार्यों को अंजाम देने वाली एजेंसियों की जानकारी भी मांगी, जबकि विधायक तुलेश्वर हीरा सिंह मरकाम ने इसी विषय पर विस्तृत विवरण देने की मांग की। इस पर मंत्री ने अलग से जानकारी उपलब्ध कराने का आश्वासन दिया।

सत्र के दौरान नेता प्रतिपक्ष डॉ. चरणदास महंत ने कटघोरा और मरवाही में हुए कार्यों की जांच कराने की मांग उठाई, जिस पर मंत्री कश्यप ने तथ्यों की उपलब्धता के आधार पर जांच कराने की सहमति जताई। इसी बीच रायपुर पश्चिम से भाजपा विधायक राजेश मूणत ने कोऑपरेटिव सोसाइटी से जुड़े मामलों पर सवाल उठाया और सरकार से जवाबदेही की मांग की। उन्होंने आरोप लगाया कि कोऑपरेटिव सोसाइटी के तहत आने वाली संस्थाओं को आज भी एनओसी (अनापत्ति प्रमाण पत्र) प्राप्त करने के लिए दिक्कतों का सामना करना पड़ता है, और बिना पैसे दिए यह प्रमाण पत्र नहीं मिलता। इस पर मंत्री कश्यप ने जवाब दिया कि इस मुद्दे के समाधान के लिए एक कमेटी गठित की गई है, जिसकी दो बैठकें भी हो चुकी हैं और लगातार निगरानी की जा रही है। उन्होंने यह भी कहा कि एनओसी जारी करने की प्रक्रिया को ऑनलाइन किया जा रहा है, जिससे भविष्य में किसी प्रकार की गड़बड़ी न हो।

विधायक मूणत ने इस मुद्दे पर आगे सवाल करते हुए कहा कि अधिकारियों की गंभीरता को लेकर चिंता बनी हुई है और सरकार को एक समय-सीमा तय करनी चाहिए ताकि इस प्रक्रिया में पारदर्शिता और तत्परता लाई जा सके। मंत्री कश्यप ने जवाब में कहा कि कमेटी के प्रारूप आने के बाद इस संबंध में आवश्यक निर्णय लिए जाएंगे और व्यवस्था को बेहतर बनाने का हरसंभव प्रयास किया जाएगा। बजट सत्र के दौरान यह मुद्दा काफी अहम बना रहा और इसे लेकर सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच तीखी नोकझोंक भी देखने को मिली।