महाराष्ट्र कांग्रेस अध्यक्ष हर्षवर्धन सपकाल ने पार्टी को पुनर्जीवित करने का लिया संकल्प, कहा- “हम हार से नहीं हताश, बल्कि मजबूती से करेंगे वापसी”

मुंबई महाराष्ट्र कांग्रेस के नव नियुक्त अध्यक्ष हर्षवर्धन सपकाल ने कहा कि हाल ही में हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के खराब प्रदर्शन के बावजूद पार्टी कार्यकर्ताओं का मनोबल कमजोर नहीं हुआ है। उन्होंने कहा कि हमने सिर्फ 16 सीटें जीतीं, लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि हम समाप्त हो गए हैं। बल्कि, कार्यकर्ता पार्टी को पुनर्जीवित करने के लिए उत्साहित हैं, और जल्द ही पार्टी में व्यापक सुधार किए जाएंगे।

पार्टी को मजबूत करने का लिया संकल्प

हर्षवर्धन सपकाल ने कहा कि महाराष्ट्र कांग्रेस इकाई को फिर से मजबूत करने की चुनौती को उन्होंने स्वीकार किया है। उनका मानना है कि कांग्रेस का ढांचा मजबूत है, और कार्यकर्ताओं में अभी भी जोश और समर्पण की भावना है। उन्होंने कहा कि पार्टी की विचारधारा और संगठन को मज़बूत करने के लिए जमीनी स्तर पर काम किया जाएगा।

उन्होंने कहा कि विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने 101 सीटों पर चुनाव लड़ा था, लेकिन केवल 16 सीटों पर ही जीत हासिल कर सकी। यह नतीजे भले ही निराशाजनक हों, लेकिन कांग्रेस का अस्तित्व खत्म नहीं हुआ है। उन्होंने स्पष्ट किया कि पार्टी में सुधार की प्रक्रिया जल्द शुरू की जाएगी और सभी स्तरों पर जवाबदेही तय की जाएगी।

निकाय चुनाव नहीं कराने पर भाजपा सरकार पर साधा निशाना

सपकाल ने भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार पर आरोप लगाया कि वह स्थानीय निकाय चुनाव नहीं करवा रही है। उन्होंने कहा कि राज्य में पार्षदों और जिला परिषद के सदस्यों के रूप में निर्वाचित प्रतिनिधि भी होते हैं, लेकिन सरकार ने उन्हें दरकिनार कर दिया है। उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र में निकाय चुनाव पिछले दो वर्षों से लंबित हैं, और निकट भविष्य में भी इनके होने की संभावना नहीं दिख रही है।

उन्होंने कहा कि भाजपा सरकार जमीनी मुद्दों जैसे कि किसानों की समस्याओं, महंगाई, बेरोजगारी, और मूल्य वृद्धि से ध्यान हटाकर कुछ खास वर्गों के हितों की रक्षा करने में लगी हुई है। उन्होंने दावा किया कि भाजपा ने कांग्रेस को कमजोर दिखाने के लिए एक अलग कहानी गढ़ी है, लेकिन कांग्रेस की विचारधारा को खत्म करना संभव नहीं है।

भाजपा बनाम कांग्रेस की वैचारिक लड़ाई

सपकाल ने कहा कि वर्तमान राजनीतिक माहौल में केवल दो विचारधाराएं ही बची हैं भाजपा और कांग्रेस। उन्होंने कहा कि कांग्रेस को भाजपा के खिलाफ मजबूती से वैचारिक लड़ाई लड़नी होगी और इसके लिए अनुशासन और एकता जरूरी है।

उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा जाति और धर्म का इस्तेमाल समाज में विश्वास की कमी पैदा करने के लिए कर रही है। उन्होंने कहा कि इस वजह से महाराष्ट्र का सामाजिक ताना-बाना तनावपूर्ण हो गया है। कांग्रेस राज्य में सौहार्द बनाए रखने और लोगों को एकजुट करने के लिए काम करेगी। उन्होंने चेतावनी दी कि अगर सामाजिक संकट को अभी नहीं संभाला गया, तो इसका असर आने वाली पीढ़ियों के साथ-साथ हमारे जीवनकाल पर भी पड़ेगा।

पार्टी संगठन में बदलाव और रणनीति

सपकाल ने कहा कि कांग्रेस कार्यकर्ताओं, नेताओं और मतदाताओं के बीच समन्वय की जो कड़ी कमजोर हुई है, उसे फिर से मजबूत करना जरूरी है। उन्होंने कहा कि अब जिम्मेदारी और जवाबदेही तय करने का वक्त आ गया है।

उन्होंने कहा कि पार्टी के जन नेताओं को जिम्मेदारी दी जाएगी, वफादार कार्यकर्ताओं को संगठन में उचित स्थान मिलेगा, और अक्षम पदाधिकारियों को बदला जाएगा। इसके लिए पूरे महाराष्ट्र में सद्भावना बैठकें और प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे।

सपकाल ने कहा कि भाजपा की रीढ़ आरएसएस है, जबकि कांग्रेस की ताकत उसकी विरासत और परंपराएं हैं। उन्होंने कहा कि कांग्रेस का डीएनए देश के डीएनए से जुड़ा हुआ है और यह हमेशा एक जन-आधारित पार्टी रही है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस को अपनी कमजोरियों को पहचानकर उन्हें दूर करने की दिशा में काम करना होगा।

महाविकास अघाड़ी के साथ कांग्रेस की स्थिति

बता दें कि महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने विपक्षी गठबंधन महाविकास अघाड़ी (एमवीए) के तहत शिवसेना (यूबीटी) और एनसीपी (एसपी) के साथ चुनाव लड़ा था। हालांकि, गठबंधन के बावजूद कांग्रेस केवल 16 सीटें जीत पाई। इस हार के बावजूद सपकाल ने भरोसा जताया कि पार्टी जल्द ही अपनी स्थिति को सुधारकर मजबूत वापसी करेगी।