“कर्नाटक हाईकोर्ट का बड़ा फैसला: MUDA घोटाले की जांच जारी रखने के लिए लोकायुक्त को आदेश, 27 जनवरी तक रिपोर्ट पेश करने का निर्देश;

 बंगलूरू:  कर्नाटक उच्च न्यायालय ने बुधवार को मुख्यमंत्री सिद्धारमैया से जुड़ी मैसूरु शहरी विकास प्राधिकरण (एमयूडीए) साइट आवंटन मामले में लोकायुक्त को जांच जारी रखने की अनुमति दी। न्यायमूर्ति एम नागाप्रसन्ना की अध्यक्षता में हुई सुनवाई में अदालत ने लोकायुक्त से 27 जनवरी तक जांच की विस्तृत रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया। अदालत ने यह भी कहा कि जांच की निगरानी पुलिस महानिरीक्षक, लोकायुक्त द्वारा की जाएगी ताकि पारदर्शिता और निष्पक्षता सुनिश्चित की जा सके। यह आदेश उस याचिका पर सुनवाई के दौरान दिया गया, जिसे कार्यकर्ता स्नेहमयी कृष्णा ने दायर किया था। याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया कि उच्च पदस्थ अधिकारियों और नेताओं की संलिप्तता को देखते हुए लोकायुक्त जांच की निष्पक्षता पर सवाल उठाए थे।

याचिकाकर्ता का प्रतिनिधित्व कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता मनिंदर सिंह ने दलील दी कि मुख्यमंत्री सिद्धारमैया की पत्नी ने विवादित भूमि स्थलों को सरेंडर करने की पेशकश की थी, जबकि एक सामान्य नागरिक के लिए जमीन प्राप्त करने की प्रक्रिया काफी जटिल होती है। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि इस प्रक्रिया को तेजी से पूरा किया गया। हालांकि, मुख्यमंत्री सिद्धारमैया का प्रतिनिधित्व करने वाले वकील रवि वर्मा कुमार और अभिषेक मनु सिंघवी ने इन आरोपों को बेतुका बताते हुए खारिज कर दिया।

साथ ही, याचिकाकर्ता के वकील ने यह भी कहा कि मसूरी शहरी विकास प्राधिकरण (एमयूडीए) से संबंधित मूल फाइलें गायब हैं, जिसके बाद न्यायालय ने लोकायुक्त से इन तथ्यों का विवरण रिकॉर्ड पर रखने का आदेश दिया। अदालत ने यह भी कहा कि लोकायुक्त को अब तक की सारी जानकारी और दस्तावेज एकत्रित कर 27 जनवरी से पहले रिपोर्ट अदालत में प्रस्तुत करनी होगी।

कर्नाटक उच्च न्यायालय ने इस मामले की केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) को स्थानांतरित करने की याचिका पर 27 जनवरी तक सुनवाई स्थगित कर दी। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि वह इस मामले को पूरी पारदर्शिता से निपटेगा, लेकिन जांच की सारी जानकारी लोकायुक्त को पहले पेश करनी होगी। यह आदेश कर्नाटक के राजनीतिक और प्रशासनिक हलकों में एक अहम विकास के रूप में देखा जा रहा है।