“आईएनएस तुशिल की लंदन में पहली तैनाती: भारत-ब्रिटेन रक्षा सहयोग को नई ऊँचाई”
लंदन: 9 दिसंबर को भारतीय नौसेना ने अपनी ताकत को और बढ़ाते हुए आईएनएस तुशिल को अपनी सेवा में शामिल किया। इसके बाद यह मल्टी-रोल स्टील्थ-गाइडेड मिसाइल फ्रिगेट अपनी पहली तैनाती के लिए लंदन बंदरगाह पर पहुंचा, जहां इसे जोरदार स्वागत मिला। यह तैनाती भारत और ब्रिटेन के बीच एक महत्वपूर्ण कूटनीतिक अवसर का हिस्सा बनी, जो भारत-ब्रिटेन के संबंधों को और मजबूती प्रदान करती है। लंदन में भारतीय उच्चायोग ने इस तैनाती का स्वागत किया, इसे भारतीय नौसेना की बहुआयामी ताकत के प्रतीक के रूप में पेश किया गया।
आईएनएस तुशिल भारतीय नौसेना के लिए एक अत्यधिक तकनीकी उन्नत युद्धपोत है और यह प्रोजेक्ट 1135.6 के तहत निर्मित सातवां जहाज है। यह क्रिवाक III श्रेणी का एक उन्नत युद्धपोत है, जिसमें कई शक्तिशाली और परिष्कृत हथियार प्रणाली लगी हुई हैं। इस जहाज का निर्माण भारतीय और विदेशी शिपयार्ड के सहयोग से किया गया है, और यह अपने कक्ष में अन्य जहाजों से कहीं ज्यादा सक्षम और विशेषत: उन्नत है।
आईएनएस तुशिल का निर्माण 2016 में भारतीय रक्षा मंत्रालय और रूस के रोसोबोरोनेक्सपोर्ट के बीच किए गए अनुबंध के आधार पर हुआ था। यह युद्धपोत भारतीय नौसेना की बढ़ती जरूरतों और तकनीकी दृषटिकोन से एक महत्वपूर्ण कदम है। इसकी लंबाई 409.5 फीट, बीम 49.10 फीट और ड्रॉट 13.9 फीट है। जहाज की गति समुद्र में 59 किमी प्रति घंटे है और यह 180 सैनिकों और 18 अधिकारियों के साथ 30 दिनों तक समुद्र में ऑपरेशन कर सकता है।
आईएनएस तुशिल में सबसे आधुनिक इलेक्ट्रॉनिक युद्ध प्रणालियाँ और रक्षा उपकरण लगाए गए हैं, जिनमें 4 केटी-216 डिकॉय लॉन्चर्स, एक 100 मिलिमीटर की ए-190ई नेवल गन, और 76 मिमी ओटो मेलारा नेवल गन के साथ-साथ एके-630 और काश्तान सीआईडब्ल्यूएस जैसे शक्तिशाली बंदूकें भी शामिल हैं। यह युद्धपोत अपने मजबूत टॉरपीडो सिस्टम और रॉकेट लॉन्चर के साथ समुद्र में दुश्मन के हमलों का प्रभावी रूप से सामना कर सकता है। इसके अलावा, इस जहाज में हेलीकॉप्टर के लिए भी एक लैन्डिंग पैड है, जिसमें कामोव-28, कामोव-31, या ध्रुव हेलीकॉप्टर तैनात किए जा सकते हैं, जो इसका एयर सपोर्ट प्रदान करते हैं।
आईएनएस तुशिल की तकनीकी विशिष्टताएँ और यह जहाज भारतीय नौसेना की प्रमुख क्षमताओं को और मजबूती से बढ़ाता है। यह भारत की सैन्य ताकत और समुद्र में अपनी सशक्त उपस्थिति को लेकर एक महत्वपूर्ण कदम है, जिससे भारत के समुद्री सुरक्षा मिशन में योगदान और ताकत मिली है। लंदन की पहली तैनाती भारत-यूके रक्षा सहयोग को न केवल मजबूत करती है, बल्कि यह भारतीय नौसेना के सामरिक महत्व को भी प्रदर्शित करती है, जो अब अंतरराष्ट्रीय जलक्षेत्रों में भी अपनी दृढ़ उपस्थिति बना रही है।