गौरव तनेजा और रणवीर इलाहाबादिया विवाद: यूट्यूबरों के बीच बदलता रुख और पुलिस पर उठाए सवाल

यूट्यूबर गौरव तनेजा और रणवीर इलाहाबादिया के बीच विवाद ने सोशल मीडिया पर काफी हलचल मचाई है। पहले जहां गौरव तनेजा ने रणवीर इलाहाबादिया की विवादित टिप्पणी पर अपनी नाराजगी जाहिर की थी, वहीं अब उन्होंने अपने रुख को बदला है और रणवीर के पक्ष में खड़े हो गए हैं। गौरव तनेजा ने इंस्टाग्राम पर एक वीडियो शेयर करते हुए कहा कि उन्हें लगता है कि रणवीर को गलत तरीके से निशाना बनाया जा रहा है और यह मामला अब गलत दिशा में जा रहा है।

गौरव ने अपनी वीडियो में कहा कि जब यह विवाद शुरू हुआ था, तब उन्हें लगा था कि देश के युवा समाज की समझदारी को लेकर जागरूक हैं, लेकिन अब जो हो रहा है, उससे वह निराश हैं। गौरव ने यह भी कहा कि, रणवीर के खिलाफ जो अभियान चलाया जा रहा है, वह उसकी अवसरवादी मानसिकता का प्रतीक है। गौरव ने पुलिस के समन पर भी हैरानी जताते हुए सवाल उठाया कि आखिर क्यों उन वीडियो को नहीं पकड़ा जाता, जिनमें अभद्र भाषा का इस्तेमाल किया गया है। उन्होंने उदाहरण के तौर पर सुंदर पिचई का नाम लिया और कहा, “आप सुंदर पिचई को क्यों नहीं पकड़ते?” गौरव का कहना था कि पुलिस केवल कमजोर लोगों को ही निशाना बना रही है, जो कि गलत है।

समय रैना के शो ‘इंडियाज गॉट लैटेंट’ में रणवीर इलाहाबादिया ने एक प्रतियोगी के मां-बाप पर अपमानजनक टिप्पणी की थी, जिससे दर्शकों के बीच काफी गुस्सा और नाराजगी फैल गई। इस घटना के बाद कई लोगों ने रणवीर के खिलाफ पुलिस केस दर्ज किया था। सोशल मीडिया और खबरों में यह मामला तूल पकड़ा और अंततः समय रैना ने शो के सभी एपिसोड्स को डिलीट कर दिया। इस विवाद पर रणवीर इलाहाबादिया ने माफी मांगते हुए कहा कि उन्होंने गलती से टिप्पणी की थी और उनका इरादा किसी को भी अपमानित करने का नहीं था।

हालांकि, इस मामले में पुलिस ने रणवीर इलाहाबादिया को 24 फरवरी तक उपस्थित होने का आदेश दिया है। गौरव तनेजा का कहना है कि यह कदम कहीं न कहीं लोकतंत्र के मूल्यों को चुनौती देता है, और यह वो लोकतंत्र नहीं है, जिसके लिए लोग मतदान करते हैं। गौरव का यह बयान दर्शाता है कि यह विवाद केवल एक यूट्यूब शो और एक टिप्पणी से कहीं अधिक बढ़कर एक लोकतांत्रिक और मीडिया की स्वतंत्रता पर चर्चा बन गया है।

इस मामले पर देशभर में चर्चाएं हो रही हैं, और यूट्यूबरों के इस विवाद ने सोशल मीडिया के प्रभाव और स्वतंत्र अभिव्यक्ति के मुद्दे पर भी सवाल खड़े किए हैं।