शाहरुख खान और कई बड़ी कंपनियों के खिलाफ छत्तीसगढ़ में दर्ज हुआ मामला, भ्रामक विज्ञापनों से युवाओं को प्रभावित करने का आरोप
रायपुर: बॉलीवुड के सुपरस्टार शाहरुख खान के खिलाफ छत्तीसगढ़ में एक महत्वपूर्ण कानूनी मामला दर्ज किया गया है। अधिवक्ता फैजान खान ने उनके खिलाफ विमल पान मसाला, फेयर एंड हैंडसम, और रमी जैसे उत्पादों के भ्रामक विज्ञापनों को बढ़ावा देने के आरोप में मुकदमा दायर किया है। फैजान खान का आरोप है कि शाहरुख खान जैसे बड़े सेलिब्रिटी द्वारा इन उत्पादों का प्रचार करने से देश के युवा और बच्चे प्रभावित हो रहे हैं। इस मामले में अदालत में बहस के दौरान उन्होंने दावा किया कि ऐसे विज्ञापन समाज में कैंसर, गरीबी और अन्य गंभीर समस्याओं को बढ़ावा दे सकते हैं, जिससे नागरिकों के स्वास्थ्य और जीवनशैली पर नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है।
इस कानूनी कार्रवाई में केवल शाहरुख खान ही नहीं, बल्कि कई प्रमुख कंपनियों को भी शामिल किया गया है। इन कंपनियों में गूगल इंडिया प्राइवेट लिमिटेड (यूट्यूब इंडिया), अमेज़न इंडिया (प्राइम वीडियो), नेटफ्लिक्स इंडिया, एम्स लिमिटेड (फेयर एंड हैंडसम), आईटीसी लिमिटेड (विमल पान मसाला) और हेड डिजिटल वर्क्स प्राइवेट लिमिटेड (ए23 रमी) के नाम शामिल हैं। मुकदमे में दावा किया गया है कि ये कंपनियां अपने डिजिटल प्लेटफॉर्म और प्रसारण माध्यमों के जरिए ऐसे विज्ञापन दिखा रही हैं, जो समाज में गलत संदेश प्रसारित कर रहे हैं और लोगों को आर्थिक और स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं की ओर धकेल रहे हैं।
इस मामले की सुनवाई रायपुर की दंडाधिकारी कृति कुजूर के न्यायालय में हुई, जहां अधिवक्ता फैजान खान और विराट वर्मा ने अपनी दलीलें पेश कीं। अदालत ने सिविल केस नंबर 99/2025 के तहत मामले को दर्ज कर लिया और इसे एक गंभीर विषय मानते हुए त्वरित कार्रवाई का आश्वासन दिया। इस मुकदमे में मानहानि, उपभोक्ता अधिकारों का उल्लंघन, बौद्धिक संपत्ति के नियमों का हनन, और सिविल कानूनों के कई अन्य प्रावधानों के उल्लंघन का आरोप लगाया गया है।
अधिवक्ता फैजान खान ने यह भी कहा कि यह मामला केवल एक सेलिब्रिटी या किसी एक कंपनी से जुड़ा नहीं है, बल्कि यह पूरे समाज के लिए एक महत्वपूर्ण चेतावनी है कि विज्ञापनों के माध्यम से लोगों के जीवन पर किस प्रकार का प्रभाव पड़ता है। उन्होंने यह भी तर्क दिया कि बच्चे और युवा सेलिब्रिटी की छवि से प्रभावित होते हैं, और जब वे किसी फिल्म स्टार या मशहूर हस्ती को तंबाकू, स्किन व्हाइटनिंग क्रीम या ऑनलाइन जुए का प्रचार करते देखते हैं, तो वे इसे सामान्य मानकर अपनाने लगते हैं, जो उनकी सेहत और जीवनशैली को नुकसान पहुंचा सकता है।
इस मुकदमे से यह सवाल उठता है कि क्या सेलिब्रिटी को किसी उत्पाद का प्रचार करने से पहले उसकी सामाजिक और स्वास्थ्य संबंधी जिम्मेदारी का एहसास होना चाहिए? क्या कंपनियों को केवल मुनाफे के लिए ऐसे विज्ञापन प्रसारित करने की अनुमति दी जानी चाहिए, जो समाज के कमजोर वर्गों को हानि पहुंचा सकते हैं? अदालत इस मामले में आगे क्या निर्णय लेगी, यह देखना दिलचस्प होगा, लेकिन इस मुकदमे ने निश्चित रूप से भ्रामक विज्ञापनों और उनके प्रभावों पर एक नई बहस छेड़ दी है।