“अमेरिका ने चीनी ड्रोन्स पर प्रतिबंध लगाने पर किया विचार, चीन ने दी चेतावनी”
बीजिंग: अमेरिका की बाइडन सरकार द्वारा उठाया गया कदम चीन से बने ड्रोन्स के अमेरिका आने पर प्रतिबंध लगाने का विचार, दोनों देशों के बीच एक और कड़ी प्रतिद्वंदिता का संकेत देता है। गुरुवार को अमेरिकी प्रशासन ने यह घोषणा की कि वे चीन में बने ड्रोन्स पर अमेरिका में प्रतिबंध लागू करने पर गंभीरता से विचार कर रहे हैं। इस फैसले से चीन काफी आहत हुआ है और उसने स्पष्ट रूप से चेतावनी दी है कि अगर अमेरिका इस निर्णय को लागू करता है तो यह दोनों देशों के बीच व्यापारिक संबंधों को गंभीर रूप से प्रभावित कर सकता है।
चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता माओ निंग ने इस प्रतिबंध के प्रस्ताव पर तीखी आलोचना की और इसे ‘राष्ट्रीय सुरक्षा की अवधारणा का अत्यधिक विस्तार’ करार दिया। माओ ने कहा कि इस तरह के कदम न केवल चीन-अमेरिका के व्यापारिक रिश्तों को बल्कि वैश्विक औद्योगिक और आपूर्ति श्रृंखलाओं को भी कमजोर कर सकते हैं। उन्होंने जोर देते हुए कहा कि चीन अपने वैध अधिकारों और हितों की रक्षा के लिए हर संभव कदम उठाएगा। उनका यह बयान यह संकेत देता है कि अगर अमेरिका चीन से बने ड्रोन्स पर प्रतिबंध लगाता है, तो चीन आर्थिक और राजनीतिक रूप से प्रतिवाद कर सकता है।
यह विवाद अमेरिका की सुरक्षा चिंताओं से जुड़ा हुआ है, खासकर ऐसे समय में जब अमेरिकी सरकार ने चीन द्वारा निर्मित ड्रोन्स को राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरे के रूप में देखा। जून 2024 में शुरू की गई जांच में यह पाया गया कि चीन के बने ड्रोन्स की बढ़ती उपस्थिति विशेष रूप से संवेदनशील अमेरिकी सैन्य और सुरक्षा प्रतिष्ठानों के पास सुरक्षा खतरों को जन्म दे रही है। इनमें जासूसी और निगरानी संबंधी संभावनाएं शामिल थीं, जिससे अमेरिका के सुरक्षा अधिकारी चिंतित हो गए थे।
इस जांच के बाद, अमेरिकी वाणिज्य विभाग ने चीनी ड्रोन्स पर प्रतिबंध लगाने के विचार को स्वीकार करते हुए सूचना और संचार प्रौद्योगिकी और सेवाओं के तहत इसके कड़े नियमों पर काम शुरू किया है। इससे यह स्पष्ट है कि अमेरिका चीन की बढ़ती तकनीकी और औद्योगिक ताकत से चिंतित है और अपनी सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए कठोर कदम उठाने की सोच रहा है।
वर्तमान में, यह संकट चीन और अमेरिका के बीच आर्थिक और राजनीतिक रिश्तों के लिए और भी जटिल हो सकता है, और दोनों देशों के व्यापारिक आदान-प्रदान पर इसका भारी असर पड़ने की संभावना जताई जा रही है। यह संघर्ष तकनीकी और व्यापारिक मुद्दों से लेकर राष्ट्रीय सुरक्षा की रणनीतियों तक व्यापक हो सकता है, जिससे भविष्य में दोनों देशों के बीच प्रतिद्वंदिता का खतरा और अधिक बढ़ सकता है।