गोवा फिल्म फेस्टिवल से OTT तक का सफर
‘मिसेज’ को गोवा फिल्म फेस्टिवल में दिखाया गया था, जहां शो हाउसफुल था। यह फिल्म दर्शकों की उत्सुकता को भुनाने में सक्षम थी, लेकिन यह सिनेमाघरों की बजाय सीधे ओटीटी पर रिलीज हो रही है। निर्माता हरमन बावेजा और जियो स्टूडियोज के सहयोग से बनी यह फिल्म जी5 पर रिलीज हो रही है, जो कि एक अजीब निर्णय है, क्योंकि जियो का खुद का ओटीटी प्लेटफॉर्म भी मौजूद है। यह वही विरोधाभास है जो पहले भी जियो की कंटेंट रणनीति में दिख चुका है।
फिल्म की कहानी: एक विवाहिता का संघर्ष
‘मिसेज’ मूल रूप से मलयालम फिल्म ‘द ग्रेट इंडियन किचन’ का रीमेक है। यह कहानी एक ऐसी नवविवाहिता की है, जो नृत्य में निपुण है और शादी के बाद एक ऐसे परिवार में आ जाती है, जहां मर्दों की मानसिकता अभी भी पुरानी रूढ़ियों में जकड़ी हुई है। इस परिवार के पुरुषों को किचन से ताजा निकली गर्म फुल्कियां चाहिए, कैसरॉल में रखी रोटियां उनकी शान के खिलाफ हैं। उनकी सोच इतनी पिछड़ी हुई है कि मिक्सी और सिलबट्टे में पिसी चटनी के अंतर को चखकर बता सकते हैं, और कुकर में बनी बिरयानी को पुलाव का दर्जा देते हैं।
घर में एक और प्रतीकात्मक संघर्ष भी चलता रहता है – किचन में रिसते पानी का पाइप, जो धीरे-धीरे बढ़ता जाता है। जैसे-जैसे बहू पर मानसिक दबाव बढ़ता है, वैसे-वैसे इस पाइप से टपकने वाले पानी की गति भी बढ़ती जाती है। फिल्म एक तरह से यह दिखाने की कोशिश करती है कि महिला के लिए उसका अपना अस्तित्व कितना महत्व रखता है, और किस तरह समाज उसे बार-बार सीमाओं में बांधने की कोशिश करता है।
अभिनय: सान्या मल्होत्रा का दमदार प्रदर्शन
सान्या मल्होत्रा ने अपने करियर में कई बार यह साबित किया है कि वह महत्वपूर्ण किरदारों को अपने कंधों पर उठा सकती हैं। ‘दंगल’ से शुरू हुए उनके सफर में ‘पगलैट’ और ‘कटहल’ जैसी फिल्मों ने उन्हें मजबूत अभिनेत्री के रूप में स्थापित किया है। ‘मिसेज’ में भी उन्होंने बेहतरीन परफॉर्मेंस दी है, लेकिन कहानी में नई बात न होने के कारण उनके अभिनय का प्रभाव कहीं-कहीं हल्का पड़ जाता है।
निशांत दहिया, जो फिल्म में पति की भूमिका निभा रहे हैं, का प्रदर्शन उतना प्रभावशाली नहीं है। उनका किरदार न तो पूरी तरह नकारात्मक नजर आता है, न ही उसमें कोई भावनात्मक गहराई दिखाई देती है। कंवलजीत सिंह और वरुण बडोला अपने-अपने किरदारों में ठीक हैं, लेकिन स्क्रिप्ट उन्हें कोई खास मौका नहीं देती।
निर्देशन: अतीत में फंसी कहानी
निर्देशक आरती कडव इससे पहले फिल्म ‘कार्गो’ के लिए चर्चा में आ चुकी हैं, लेकिन ‘मिसेज’ में वह पूरी तरह से कन्फ्यूज नजर आती हैं। यह स्पष्ट नहीं होता कि उन्होंने यह फिल्म थिएटर के दर्शकों के लिए बनाई है या ओटीटी पर देखने वालों के लिए। सिनेमाई दृष्टि से फिल्म में कुछ खास प्रयोग नहीं किए गए हैं, और न ही कहानी को कोई नया मोड़ देने की कोशिश की गई है।
क्या है फिल्म की सबसे बड़ी कमजोरी?
- रीमेक के नाम पर कॉपी-पेस्ट: मूल मलयालम फिल्म की गहराई को समझे बिना उसे हूबहू हिंदी में बना देना इसका सबसे बड़ा दोष है।
- भावनात्मक जुड़ाव की कमी: फिल्म कहीं भी ऐसा क्षण नहीं लाती जहां दर्शक पूरी तरह से कहानी में खो जाएं।
- संगीत और संवादों की कमजोरी: फिल्म का बैकग्राउंड स्कोर औसत दर्जे का है और संवाद भी बहुत प्रभावशाली नहीं हैं।
- OTT पर जल्दबाजी में रिलीज: ऐसी फिल्में बड़े पर्दे पर बेहतर प्रभाव छोड़ सकती थीं, लेकिन इसे सीधे ओटीटी पर डालकर उसकी संभावनाओं को सीमित कर दिया गया है।