अवैध खनन का विरोध बना मुसीबत, पूर्व सरपंच और भाई पर जानलेवा हमला
राजनांदगांव: छत्तीसगढ़ के डोंगरगांव के अमलीडीह गांव में अवैध मुरुम खनन की शिकायत करना एक पूर्व सरपंच और उनके परिवार के लिए भारी पड़ गया। बुधवार रात करीब 8 बजे, जब पूर्व सरपंच दिलीप साहू अपने घर पर मौजूद थे, तभी अचानक रोहित सोनकर और उसके साथियों ने उनके घर में घुसकर उन पर चाकू और लोहे की रॉड से हमला कर दिया। इस हमले में दिलीप साहू गंभीर रूप से घायल हो गए।
अमलीडीह में लंबे समय से मुरुम के अवैध खनन की शिकायतें सामने आ रही थीं। दिलीप साहू ने इस अवैध गतिविधि के खिलाफ आवाज उठाई और संबंधित अधिकारियों से इसकी शिकायत की थी। आरोप है कि इसी वजह से रोहित सोनकर और उसके साथियों ने बदला लेने के इरादे से यह हमला किया।
हमले के दौरान जब दिलीप के भाई पवन साहू ने उन्हें बचाने की कोशिश की, तो हमलावरों ने उन पर भी रॉड से हमला कर दिया। वारदात में दिलीप और उनके भाई दोनों गंभीर रूप से घायल हो गए। दिलीप साहू को प्राथमिक उपचार के बाद तुरंत बेहतर इलाज के लिए अन्य अस्पताल में रेफर किया गया है।
घटना के बाद भाजपा पिछड़ा वर्ग प्रकोष्ठ ने इस हमले को लेकर एसडीएम और पुलिस को लिखित शिकायत दी है। उन्होंने आरोपियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की है। इस शिकायत में हमलावरों के नाम और घटना का पूरा विवरण दिया गया है।
डोंगरगांव पुलिस ने मामले की जांच शुरू कर दी है और आरोपियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर ली है। पुलिस ने घटना स्थल का निरीक्षण किया और हमलावरों की पहचान कर ली है। हालांकि, अभी तक किसी की गिरफ्तारी नहीं हुई है।
यह घटना न केवल अवैध खनन का मामला है, बल्कि इसके राजनीतिक पहलू भी उभरकर सामने आए हैं। स्थानीय स्तर पर यह मामला तनाव का कारण बन गया है, और ग्रामीणों में आक्रोश है। लोग सवाल उठा रहे हैं कि अवैध गतिविधियों के खिलाफ आवाज उठाने वाले लोगों की सुरक्षा कैसे सुनिश्चित की जाएगी।
यह घटना प्रशासन और समाज के लिए एक चेतावनी है कि अवैध खनन जैसी गतिविधियों को रोकने के लिए ठोस कदम उठाने होंगे। साथ ही, उन लोगों की सुरक्षा सुनिश्चित करनी होगी, जो इन मुद्दों पर आवाज उठाते हैं। इस घटना ने यह भी स्पष्ट कर दिया है कि कानून-व्यवस्था को मजबूत करने और अपराधियों पर सख्ती बरतने की जरूरत है।
डोंगरगांव की यह घटना सिर्फ एक हमले तक सीमित नहीं है, बल्कि यह बताती है कि अवैध गतिविधियों के खिलाफ लड़ाई कितनी चुनौतीपूर्ण हो सकती है। समाज के जागरूक नागरिकों और प्रशासन को मिलकर ऐसे मुद्दों का समाधान निकालना होगा।