कंगना रनौत की कृषि कानूनों पर टिप्पणी से बवंडर; कांग्रेस का जवाब: “हरियाणा से मिलेगी पहली प्रतिक्रिया”
नई दिल्ली : कांग्रेस नेता सुप्रिया श्रीनेता ने हाल ही में भारतीय जनता पार्टी की सांसद और बॉलीवुड अभिनेत्री कंगना रनौत की विवादास्पद टिप्पणियों पर कड़ी प्रतिक्रिया दी है। कंगना ने एक वायरल वीडियो में उस समय वापस लिए गए तीन कृषि कानूनों को फिर से लागू करने की बात कही, जब किसानों ने इन कानूनों के खिलाफ व्यापक विरोध किया था। इस आंदोलन के दौरान 750 से अधिक किसान शहीद हो गए थे, और कांग्रेस ने इस पर कड़ा संज्ञान लेते हुए कहा है कि कंगना का बयान किसानों के प्रति असम्मानजनक है।
कंगना ने वीडियो में कहा, “मुझे पता है कि यह बयान विवादास्पद हो सकता है, लेकिन तीन कृषि कानूनों को वापस लाना चाहिए।” उन्होंने किसानों से अपील की कि वे अपने हित में इन कानूनों की मांग करें, यह बताते हुए कि ये कानून अन्य राज्यों के किसानों के लिए लाभकारी रहे हैं। उनका यह तर्क था कि अगर बाकी जगहों के किसान समृद्ध हो रहे हैं, तो हमारे किसानों को भी ऐसा ही होना चाहिए। कंगना ने यह भी कहा कि कुछ राज्यों में विरोध के कारण सरकार को इन कानूनों को वापस लेना पड़ा।
इस पर प्रतिक्रिया देते हुए, सुप्रिया श्रीनेता ने स्पष्ट रूप से कहा कि कांग्रेस कभी भी इन काले कानूनों की वापसी की अनुमति नहीं देगी। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि इन कानूनों का विरोध करने वाले किसानों की शहादत को नकारना न केवल अन्याय है, बल्कि यह किसानों के संघर्ष के प्रति भी अवहेलना है। श्रीनेता ने कहा, “हम ऐसा कभी नहीं होने देंगे। सबसे पहला जवाब हरियाणा देगा।”
कांग्रेस ने अपने आधिकारिक सोशल मीडिया हैंडल पर कंगना के वीडियो को साझा करते हुए इस मुद्दे पर स्पष्टता दी है। उन्होंने कहा, “किसानों पर थोपे गए तीन काले कानून वापस लाने की बात कंगना रनौत कर रही हैं। देश के 750 से ज्यादा किसान शहीद हुए, तब जाकर मोदी सरकार की नींद टूटी और ये काले कानून वापस हुए। अब भाजपा के सांसद फिर से इन कानूनों की वापसी की योजना बना रहे हैं। कांग्रेस किसानों के साथ है। इन काले कानून की वापसी अब कभी नहीं होगी।”
इस राजनीतिक बयानबाजी ने एक बार फिर से कृषि कानूनों के मुद्दे को गरमा दिया है, जिससे यह स्पष्ट है कि इस विषय पर न केवल किसानों के हित बल्कि राजनीतिक स्वार्थ भी प्रभावित हैं। यह विवाद आगामी चुनावों के संदर्भ में भी महत्वपूर्ण हो सकता है, क्योंकि यह स्पष्ट करता है कि राजनीतिक दल अपने समर्थकों के हितों की रक्षा के लिए कैसे सक्रिय रहते हैं।