“योगी आदित्यनाथ का बड़ा बयान: ‘धर्म की सुरक्षा के लिए मुरली के साथ सुदर्शन भी जरूरी'”

त्रिपुरा: उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सोमवार को त्रिपुरा में एक महत्वपूर्ण बयान देते हुए धार्मिक सुरक्षा और सांस्कृतिक प्रतीकों के महत्व को रेखांकित किया। उन्होंने भगवान श्रीकृष्ण की स्मृति का उल्लेख करते हुए कहा कि श्रीकृष्ण के एक हाथ में मुरली है और दूसरे हाथ में सुदर्शन है। इस संदर्भ में उन्होंने बताया कि केवल मुरली (जो प्रेम, शांति और आनंद का प्रतीक है) से धर्म की रक्षा नहीं की जा सकती। इसके साथ ही सुदर्शन (जो शक्ति और सुरक्षा का प्रतीक है) की भी आवश्यकता है।

योगी आदित्यनाथ ने कहा कि सुदर्शन के बिना केवल मुरली से काम नहीं चलेगा और अगर सुदर्शन आपके पास होगा, तो किसी को बलिदान नहीं देना पड़ेगा। यह बयान उन्होंने त्रिपुरा में धार्मिक सुरक्षा और सतर्कता की बात करते हुए दिया, जहां वे डबल इंजन की सरकार की सफलता की चर्चा कर रहे थे। उन्होंने त्रिपुरा की डबल इंजन सरकार की सराहना की, जो सर्वांगीण विकास के लिए तेज गति से काम कर रही है और धार्मिक क्षेत्र में हो रही प्रगति को उल्लेखनीय बताया।

मुख्यमंत्री ने बांग्लादेश का नाम लिए बिना, पड़ोसी देशों में रहने वाले भारतीय मूल के लोगों की स्थिति का उल्लेख किया और कहा कि यह स्थिति किसी से छिपी नहीं है। उन्होंने धर्म की रक्षा के महत्व पर जोर देते हुए कहा कि अगर आप धर्म की रक्षा करेंगे, तो धर्म भी आपकी रक्षा करेगा। लेकिन यदि आप स्वार्थ के लिए धर्म का बलिदान करेंगे, तो धर्म भी आपके साथ उसी प्रकार का व्यवहार करेगा।

आदित्यनाथ ने भारतीय संस्कृति और सनातन मान्यता को ध्यान में रखते हुए कहा, “यतो धर्मस्ततो जय,” यानी धर्म के अनुसार चलने पर ही विजय प्राप्त होती है। उन्होंने कहा कि हम सब ‘एक भारत-श्रेष्ठ भारत’ के सिद्धांत के तहत देश को मजबूत करने के लिए काम कर रहे हैं और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संकल्प और सामर्थ्य से प्रेरित होकर एक नई यात्रा की शुरुआत कर रहे हैं।

उनके इस बयान में धार्मिक और सांस्कृतिक प्रतीकों की सामरिक और सुरक्षा भूमिकाओं को समझाने का प्रयास किया गया है, जिसमें सुदर्शन चक्र को सुरक्षा और शक्ति का प्रतीक बताया गया है, जो धार्मिक और सामाजिक सुरक्षा को सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण है