योगी आदित्यनाथ ने कहा ज्ञानवापी अर्थात विश्वनाथ : मस्जिदों से ना जोड़े शब्द
गोरखपुर : मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने गोरखपुर में शनिवार को ज्ञानवापी मस्जिद को लेकर एक महत्वपूर्ण और विवादास्पद बयान दिया। दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय में आयोजित ‘समरस समाज के निर्माण में नाथपंथ का अवदान’ विषयक अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी के उद्घाटन सत्र में सीएम योगी ने कहा कि आज जिस ज्ञानवापी को कुछ लोग मस्जिद मानते हैं, वह वास्तव में भगवान विश्वनाथ का साक्षात रूप है। उन्होंने इस संदर्भ में आदि शंकराचार्य की काशी यात्रा की एक प्रसिद्ध कथा का उल्लेख किया, जिसमें भगवान विश्वनाथ ने आदि शंकर को एक अछूत के रूप में आकर परीक्षा ली थी।
सीएम योगी ने यह भी बताया कि आदि शंकराचार्य ने भारत के चारों कोनों में आध्यात्मिक पीठों की स्थापना की थी, और जब वे काशी आए थे, तो भगवान विश्वनाथ ने उनकी परीक्षा लेने के लिए अछूत के रूप में सामने आकर उनके अद्वैत ज्ञान को चुनौती दी। इस घटना से यह सिद्ध होता है कि ज्ञानवापी वास्तव में भगवान विश्वनाथ का ही रूप है, और इसे मस्जिद मानना एक ऐतिहासिक और धार्मिक दृष्टि से गलत है।
संगोष्ठी में सीएम योगी ने नाथपंथ और भारतीय संत परंपरा की सामाजिक समरसता के महत्व को भी उजागर किया। उन्होंने कहा कि भारतीय संतों और ऋषियों की परंपरा हमेशा समाज को जोड़ने और समानता की दिशा में कार्यरत रही है। नाथपंथ ने सभी जातियों, धर्मों और क्षेत्रों को सम्मान देने और समाज में छुआछूत तथा अस्पृश्यता को समाप्त करने के प्रयास किए हैं। सीएम योगी ने यह भी कहा कि अगर अस्पृश्यता को गंभीरता से लिया गया होता, तो देश की स्वतंत्रता का मार्ग खुल सकता था।
मुख्यमंत्री ने महायोगी गुरु गोरखनाथ की शिक्षाओं को भी सराहा, जिनकी वाणियों और पदों में समाज को जोड़ने और सामाजिक समरसता की बातें की गई हैं। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि संत साहित्य की परंपरा, विशेषकर गुरु गोरखनाथ के साहित्य, ने सामाजिक समरसता को बढ़ावा दिया है। पीताम्बर दत्त जी द्वारा संकलित गोरखवाणी को हिंदी में डी. लिट् की उपाधि प्राप्त होने का उल्लेख करते हुए, सीएम योगी ने संत साहित्य की गहराई और इसके सामाजिक प्रभाव को दर्शाया।
इस प्रकार, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अपने बयान और संबोधन के माध्यम से ज्ञानवापी मस्जिद के धार्मिक महत्व को पुनः स्थापित करने की कोशिश की है और भारतीय संत परंपरा की सामाजिक समरसता की दिशा में योगदान को स्पष्ट किया है।
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