“गुजरात में बिना अनुमति के एंजियोप्लास्टी से दो मौतें, अस्पताल के खिलाफ एफआईआर दर्ज”
गुजरात : गुजरात के मेहसाणा जिले के बोरिसाना गांव में स्वास्थ्य संबंधी एक बड़ी त्रासदी ने पूरे क्षेत्र को हिला कर रख दिया है। यहां 11 नवंबर को एक निःशुल्क स्वास्थ्य शिविर आयोजित किया गया था, जहां 80 से अधिक स्थानीय निवासियों ने भाग लिया, जिनमें अधिकांश मजदूर और प्लास्टिक उद्योग में काम करने वाले लोग थे। इस शिविर का आयोजन ख्याति मल्टीस्पेशलिटी अस्पताल द्वारा किया गया था, और इसमें चिकित्सकों ने कथित तौर पर बिना किसी स्पष्ट सहमति के कई लोगों की एंजियोग्राफी और एंजियोप्लास्टी सर्जरी की।
आशंका जताई जा रही है कि अस्पताल ने इन प्रक्रियाओं को अनावश्यक रूप से किया, जिसके कारण दो लोगों की मौत हो गई, जबकि कई अन्य लोग जो गंभीर रूप से प्रभावित हुए थे, उनकी इलाज प्रक्रिया अभी भी जारी है। इन दोनों मृतकों का इलाज आयुष्मान भारत पीएमजेएवाई योजना के तहत किया जा रहा था। यह घटना उस समय हुई जब इन दोनों को बिना जानकारी या अनुमति के एंजियोप्लास्टी सर्जरी की गई, और यह न केवल गंभीर स्वास्थ्य संकट का कारण बनी, बल्कि पूरे गांव में आक्रोश और मातम का माहौल भी बना दिया।
घटना के बाद अस्पताल के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई, जिसमें अस्पताल द्वारा किए गए चिकित्सा कार्यों को अनावश्यक और बिना सूचित सहमति के बताया गया है। आरोपों के अनुसार, ख्याति मल्टीस्पेशलिटी अस्पताल ने 19 मरीजों की एंजियोग्राफी की और उनमें से सात मरीजों को एंजियोप्लास्टी सर्जरी के लिए भेजा। लेकिन सबसे गंभीर बात यह रही कि अस्पताल ने इन मरीजों की पोस्ट-ऑपरेटिव देखभाल उचित रूप से नहीं की, जिसके कारण दो मरीजों की मौत हो गई। इस मामले में अस्पताल के चार निदेशकों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है, और विजिटिंग कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. प्रशांत वजीरानी को गिरफ्तार किया गया है।
गुजरात सरकार ने इस मामले में कड़ी कार्रवाई का आदेश दिया है और मामले की विस्तृत जांच शुरू कर दी है। बोरिसाना गांव में अभी भी कई लोग अपने परिजनों का इंतजार कर रहे हैं, जो इस अनजाने इलाज का शिकार हुए थे, लेकिन उनकी जान बच गई। यह घटना स्वास्थ्य सेवाओं के प्रति भरोसे को तोड़ने वाली है और यह सवाल खड़ा करती है कि क्या इस तरह के अनधिकृत और अवैध चिकित्सा प्रक्रियाओं को रोका जा सकता है।