“ट्रंप 2.0: ब्रिक्स देशों को चेतावनी, कहा व्यापार के लिए अलग मुद्रा लाए तो होगा गंभीर परिणाम”
मुंबई : अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक बार फिर अपनी सख्त नीति को उजागर किया है, जब उन्होंने सोमवार को ओवल ऑफिस में अपने हस्ताक्षर समारोह के दौरान मीडिया से बात करते हुए BRICS देशों को सीधे चेतावनी दी। उनका कहना था कि यदि इन देशों ने डॉलर से इतर व्यापार करने की कोशिश की तो उन्हें 100 प्रतिशत टैरिफ का सामना करना पड़ेगा, जिससे यह सुनिश्चित होगा कि वे जल्दी ही अपनी नीतियों को बदलने पर मजबूर होंगे।
ब्रिक्स देशों पर एक स्पष्ट रुख
राष्ट्रपति ट्रंप ने यह बयान देते हुए कहा कि अगर कोई ब्रिक्स देश अमेरिकी डॉलर के बजाय अपनी मुद्रा या अन्य मुद्राओं में व्यापार करने का विचार करता है, तो उन्हें अमेरिका से संबंधित व्यापार पर 100 प्रतिशत टैरिफ का सामना करना पड़ेगा। उनका यह बयान कोई धमकी नहीं, बल्कि एक स्पष्ट और ठोस रुख था, जिससे उनकी सरकार का संदेश दुनिया भर में जोर से सुना जा सके।
उन्होंने अपने बयान में स्पष्ट किया, “अगर ब्रिक्स देश इसे करना चाहते हैं, तो ठीक है, लेकिन वे निश्चित तौर पर 100 प्रतिशत टैरिफ के साथ इसका सामना करेंगे।” उनका कहना था कि अमेरिका इस मुद्दे पर अपनी स्थिति को कमजोर नहीं मानता और उनके प्रशासन के पास ब्रिक्स देशों की योजना को विफल करने की पूरी ताकत है।
बाइडन प्रशासन से असहमत ट्रंप का दृष्टिकोण
ट्रंप ने अपने पूर्ववर्ती राष्ट्रपति जो बाइडन की टिप्पणियों को भी पलटते हुए कहा कि बाइडन ने संकेत दिया था कि अमेरिका इस मामले में कमजोर स्थिति में है। इसके जवाब में ट्रंप ने इस पर असहमति जताई और जोर देकर कहा कि अमेरिका की स्थिति काफी मजबूत है, और ब्रिक्स देशों पर इसका प्रभाव बरकरार रहेगा। उन्होंने साफ कहा, “यह कोई धमकी नहीं है, बल्कि यह एक सख्त रुख है जिसे हम इस मामले में अपनाएंगे।”
ब्रिक्स देशों द्वारा डॉलर से दूर जाने की मंशा
राष्ट्रपति ट्रंप का यह बयान रूस और चीन सहित ब्रिक्स देशों के हालिया प्रयासों के संदर्भ में आया है, जिसमें उन्होंने वैश्विक व्यापार में डॉलर के प्रभुत्व को कम करने और अपनी स्वयं की मुद्राओं के उपयोग को बढ़ावा देने की बात कही थी। विशेष रूप से, रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने 2023 में ब्रिक्स देशों के शिखर सम्मेलन में “डी-डॉलराइजेशन” का समर्थन किया था, जहां उन्होंने ब्रिक्स देशों से राष्ट्रीय मुद्राओं में व्यापार को बढ़ावा देने की अपील की थी। इसके बाद, जून 2024 में ब्रिक्स विदेश मंत्रियों ने भी मुलाकात की थी, जिसमें उन्होंने अपने देशों के बीच स्थानीय मुद्राओं के व्यापार को बढ़ाने की बात की थी।
ट्रंप का दृष्टिकोण और ब्रिक्स देशों की चिंता
ट्रंप के इस बयान ने ब्रिक्स देशों की ओर से डॉलर के मुकाबले अन्य मुद्रा में व्यापार करने की इच्छाओं को फिर से भड़काया है। ट्रंप का मानना है कि अगर ब्रिक्स संगठन अपनी मुद्रा को वैश्विक व्यापार में प्रमुख स्थान देने का प्रयास करता है, तो इससे वैश्विक आर्थिक व्यवस्था में हलचल मचेगी और विशेष रूप से अमेरिका के लिए यह खतरे का कारण बन सकता है। इसके बावजूद, ट्रंप की सरकार ने अपने आर्थिक हितों और वैश्विक पद का बचाव करने के लिए एक कड़ा रुख अपनाया है।
यह बयान यह भी स्पष्ट करता है कि अमेरिका द्वारा घोषित की गई नीति के बाद, ब्रिक्स देशों को अपनी नीतियों को फिर से परखने की आवश्यकता हो सकती है, खासकर जब उनकी रणनीतियां डॉलर के खिलाफ जा रही हों।
ट्रंप का यह दृष्टिकोण वैश्विक व्यापार पर नया दृष्टिकोण पेश करता है और इसके साथ ही अमेरिका- ब्रिक्स देशों के रिश्तों में संभावित बदलाव का संकेत भी देता है।