सप्तरिषियों की तपोभूमि: धमतरी का वनांचल क्षेत्र पर्यटकों को लुभा रहा

धमतरी | जिले का वनांचल क्षेत्र अपने प्राकृतिक सौंदर्य, ऐतिहासिक और पौराणिक महत्व के लिए प्रसिद्ध है। सिहावा पर्वत, जहां से महानदी का उद्गम होता है, सप्तऋषियों की तपोभूमि के रूप में विख्यात है। श्रृंगी ऋषि, कंक ऋषि, सरभंग ऋषि, अंगीरा ऋषि, अगस्त्य ऋषि, मुचकुंद ऋषि और गौतम ऋषि के आश्रम यहां के प्रमुख आकर्षण हैं।

यह क्षेत्र प्राचीन मंदिरों, तालाबों, गुफाओं और घने जंगलों से भरपूर है। कर्णेश्वर मंदिर, जिसे 1114 ईसा पूर्व में बनाया गया था, छत्तीसगढ़ के सबसे प्राचीन शिवलिंगों में से एक है। इसके पास लोमश ऋषि की तपोभूमि और अमृत कुंड स्थित हैं।

वनांचल क्षेत्र का प्राकृतिक सौंदर्य और धार्मिक महत्व पर्यटकों को यहां आने के लिए प्रेरित करता है। माघ पूर्णिमा और शरद पूर्णिमा जैसे अवसरों पर यहां आयोजित मेलों में हजारों श्रद्धालु और पर्यटक हिस्सा लेते हैं।