“मुकेश चंद्राकर हत्याकांड में SIT की कड़ी जांच, नए सबूतों के साथ अहम खुलासे”

बीजापुर : छत्तीसगढ़ के बीजापुर में पत्रकार मुकेश चंद्राकर की हत्या मामले की जांच अब एक नए मोड़ पर है, जहां SIT टीम ने घटनास्थल पर तफ्तीश की। सरकार की ओर से गठित एसआईटी (SIT) की टीम ने एक बार फिर मामले की गहन जांच के लिए घटनास्थल का दौरा किया। इस बार टीम ने बीजापुर स्थित बाड़ा के रूम नंबर 11 के सेप्टिक टैंक की जांच की और उसपर रखा लेंटर हटाकर नई छानबीन की। यह महत्वपूर्ण कदम तब उठाया गया जब मुकेश का मोबाइल अभी तक पुलिस को नहीं मिल पाया था, और हत्या की गुत्थी को सुलझाने के लिए लगातार अनुसंधान जारी था। इस कमरे को अब सील कर दिया गया है और मौके से मिलने वाली जानकारी पर गहरी नज़र रखी जा रही है।

यह मामला 1 जनवरी 2025 का है, जब पत्रकार मुकेश चंद्राकर घर से शाम 7 बजे के आसपास लापता हो गए थे। अगले दिन, उनके भाई युकेश ने पुलिस में गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराई थी। पुलिस की शुरुआत में कोशिशों के बावजूद मुकेश का फोन बंद था, और उनकी आखिरी लोकेशन एक संदिग्ध जगह पर मिली थी। इसके बाद पुलिस ने CCTV फुटेज को खंगालते हुए यह पाया कि मुकेश आखिरी बार टी-शर्ट और शॉर्ट्स में दिखे थे।

इसके बाद पत्रकारों ने भी इस मामले की जांच में हिस्सा लिया और Gmail लोकेशन के जरिए मुकेश की आखिरी लोकेशन को ट्रैक किया, जो बीजापुर के चट्टानपारा में पाई गई। उसी स्थान पर पत्रकारों और पुलिस की टीम ने मिलकर जांच की और जब रितेश चंद्राकर का फार्म हाउस दिखा, तो उसमें बैडमिंटन कोर्ट के पास एक संदिग्ध सेप्टिक टैंक मिला। जब इस टैंक का निरीक्षण किया गया, तो उसमें नया कंक्रीट दिखा, जिससे पत्रकारों को शक हुआ। इसके बाद, टैंक को तोड़ा गया और इस प्रक्रिया के दौरान मुकेश की लाश प्राप्त हुई।

फिलहाल, इस हत्या के मामले में तीन आरोपी को हत्या का खुलासा होने के कुछ दिन बाद गिरफ्तार किया गया था। मुख्य आरोपी सुरेश चंद्राकर को पुलिस ने हैदराबाद से गिरफ्तार किया था। यह साफ हुआ है कि बैडमिंटन कोर्ट परिसर, जो सुरेश और उसके भाइयों का निजी अड्डा था, पहले शराबखोरी और अन्य अवैध गतिविधियों का केंद्र था। यहां पर सुरेश, दिनेश और रितेश भाई मिलकर शराब पीते थे, और सैकड़ों बोतलें यहां मिली हैं। वे इस परिसर के भीतर केवल चुनिंदा व्यक्तियों को प्रवेश करने की अनुमति देते थे, जो उनके लिए कुछ मायने रखते थे।

हत्यारे भाईयों ने इस फार्म हाउस के अंदर 10 से 12 कमरों को स्टोर रूम की तरह उपयोग किया था, जिनमें सबकुछ गुप्त रखा गया था। आसपास के कई घरों से यह घटनाएं घटित हो रही थीं, लेकिन परिसर की सख्त सुरक्षा की वजह से यहां लोग कोई नहीं जान सके थे।

यह जांच पत्रकार मुकेश की हत्या के बारे में एक बड़े उजाले की ओर इशारा कर रही है, जहां चंद्राकर परिवार और उनसे जुड़ी अवैध गतिविधियों की जानकारी भी सामने आ रही है। पुलिस इस मामले को गति देने के लिए हर ज़रूरी कदम उठा रही है ताकि मामले की पूरी सच्चाई जनता के सामने आ सके।