कानपुर: बांग्लादेश के प्रमुख ऑलराउंडर शाकिब अल हसन ने हाल ही में टी20 क्रिकेट से संन्यास लेने की घोषणा की है, जो उनके करियर का एक महत्वपूर्ण मोड़ है। इस 37 वर्षीय खिलाड़ी ने मीडिया के सामने खुलासा किया कि उन्होंने बांग्लादेश क्रिकेट बोर्ड (बीसीबी) से अपनी इच्छा जताई है कि वे मीरपुर में अपना आखिरी टेस्ट मैच खेलें। यदि उनकी यह मांग स्वीकार कर ली जाती है, तो यह उनके शानदार करियर का एक समापन होगा, लेकिन अगर ऐसा नहीं होता है, तो भारत के खिलाफ कानपुर में होने वाला टेस्ट मैच उनके लिए अंतिम अवसर हो सकता है।
शाकिब ने यह भी स्पष्ट किया कि उन्होंने तुरंत प्रभाव से टी20 अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट से संन्यास लिया है और अब उनका ध्यान टेस्ट क्रिकेट की ओर है। उन्होंने बताया कि अगले महीने मीरपुर में दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ घरेलू टेस्ट सीरीज के बाद वे टेस्ट क्रिकेट को अलविदा कहने की योजना बना रहे हैं, लेकिन इसके लिए सुरक्षा मंजूरी मिलना महत्वपूर्ण है। यदि उन्हें उस सीरीज में खेलने की अनुमति नहीं मिलती है, तो भारत के खिलाफ चल रही टेस्ट श्रृंखला का दूसरा मैच उनकी अंतिम उपस्थिति हो सकता है।
शाकिब अल हसन बांग्लादेश क्रिकेट के एक महान सितारे रहे हैं, जिन्होंने 129 टी20 अंतरराष्ट्रीय मैचों में बांग्लादेश का प्रतिनिधित्व किया है। वह बांग्लादेश के लिए सभी टी20 विश्व कप खेलने वाले एकमात्र खिलाड़ी हैं। उनके करियर में कई महत्वपूर्ण उपलब्धियां हैं, जैसे कि 70 टेस्ट मैचों में 4600 रन बनाना और 242 विकेट लेना। इनमें उनकी सर्वश्रेष्ठ गेंदबाजी 36 रन देकर सात विकेट लेना शामिल है, जबकि उन्होंने 19 बार टेस्ट मैचों में पारी में पांच विकेट लिए हैं।
शाकिब ने अपने संन्यास की घोषणा के साथ ही बताया कि उन्होंने चयनकर्ताओं से चर्चा की है और 2026 के विश्व कप की तैयारी को ध्यान में रखते हुए यह सही समय है कि वह संन्यास लें। उन्होंने उम्मीद जताई कि बीसीबी को कुछ नए और प्रतिभाशाली खिलाड़ियों की पहचान करने का अवसर मिलेगा और वे भविष्य में अच्छे प्रदर्शन करेंगे।
शाकिब के क्रिकेटिंग करियर के अलावा, उन्हें राजनीतिक विवादों से भी जोड़कर देखा गया है। वह राजनीतिक अशांति के दौरान हत्या के एक मामले में आरोपी के रूप में नामित किए गए थे, जिसने बांग्लादेश के प्रधानमंत्री शेख हसीना की स्थिति को प्रभावित किया था। इस प्रकार, शाकिब अल हसन का संन्यास केवल क्रिकेट की दुनिया में एक महत्वपूर्ण घटना नहीं है, बल्कि यह बांग्लादेश की राजनीति और क्रिकेट की जटिलताओं को भी उजागर करता है। उनके इस कदम से उनके प्रशंसकों और साथी खिलाड़ियों के बीच एक नया अध्याय शुरू होगा, जो उनके योगदान और उपलब्धियों को याद रखेंगे।