“शगुन परिहार की ऐतिहासिक जीत: जम्मू-कश्मीर में बदलाव की नई लहर”
शगुन परिहार : शगुन परिहार ने किश्तवाड़ सीट पर ऐतिहासिक जीत दर्ज करते हुए जम्मू-कश्मीर के विधानसभा चुनावों में एक नई पहचान बनाई है। भाजपा ने शगुन को इस चुनाव में उम्मीदवार के रूप में उतारा था, जिन्होंने न केवल अपनी पार्टी को जीत दिलाई, बल्कि आतंकवाद के खिलाफ खड़े होने का भी एक मजबूत संदेश दिया। शगुन, जिनके पिता अजीत परिहार और चाचा अनिल परिहार का 2018 में आतंकियों द्वारा हत्या कर दिया गया था, इस चुनाव में एक प्रतीक बनकर उभरी हैं।
अपने पहले चुनाव में ही शगुन ने नेशनल कॉन्फ्रेंस के सज्जाद अहमद किचलू को 521 वोटों से हराया, जिसमें उन्हें कुल 29,053 वोट मिले। यह चुनाव जम्मू-कश्मीर में एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हुआ है, जहां पिछले 10 वर्षों में चुनावी गतिविधियाँ काफी सीमित रहीं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी इस चुनावी रैली में शगुन का विशेष उल्लेख किया, यह दर्शाते हुए कि भाजपा ने आतंकवाद की शिकार इस युवा बेटी को टिकट देकर अपनी नीतियों को मजबूती से पेश किया है।
शगुन परिहार, जो भाजपा के पूर्व नेता अनिल परिहार की भतीजी हैं, ने जीत के बाद मीडिया से बातचीत में कहा, “मैं चाहती हूं कि यहां हर घर में खुशी हो। मैंने अपने पिता को खो दिया है, और मुझे पता है कि इस क्षेत्र में बहुत से लोगों ने अपने प्रियजनों को खोया है। मेरा प्रयास होगा कि हम सभी के लिए शांति और समृद्धि सुनिश्चित करें।”
किश्तवाड़ सीट पर शगुन का मुकाबला नेशनल कॉन्फ्रेंस के सज्जाद अहमद किचलू और पीडीपी के फिरदौस अहमद टाक के साथ हुआ, जहां भाजपा ने 2014 में सुनील कुमार शर्मा के साथ जीत हासिल की थी। शगुन की जीत ने भाजपा की स्थिति को मजबूत किया है और यह स्पष्ट कर दिया है कि लोग बदलाव के लिए तैयार हैं।
इस चुनावी सफलता ने न केवल शगुन के लिए एक नया अध्याय खोला है, बल्कि यह दर्शाता है कि जम्मू-कश्मीर के लोग आतंकवाद और अस्थिरता के खिलाफ एकजुट होकर खड़े होने के लिए तत्पर हैं। शगुन की कहानी इस बात की गवाही देती है कि जब मन में दृढ़ संकल्प हो, तो किसी भी चुनौती का सामना किया जा सकता है। उनकी जीत एक नई उम्मीद और विकास की कहानी के रूप में उभरी है, जो क्षेत्र में खुशहाली की दिशा में एक कदम है।