महाराष्ट्र विधान परिषद में औरंगजेब की कब्र पर बवाल: सत्ता-विपक्ष में तीखी तकरार, शिंदे ने कांग्रेस और शिवसेना (यूबीटी) पर साधा निशाना

मुंबई : महाराष्ट्र विधान परिषद में औरंगजेब की कब्र को लेकर जबरदस्त हंगामा देखने को मिला, जहां सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच तीखी बहस छिड़ गई। डिप्टी सीएम एकनाथ शिंदे ने इस मुद्दे पर शिवसेना (यूबीटी) के एमएलसी अनिल परब पर जमकर पलटवार किया और औरंगजेब के महिमामंडन पर सवाल उठाया। उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र जैसे वीरों की भूमि में एक ऐसे मुगल बादशाह का महिमामंडन क्यों होना चाहिए, जिसने छत्रपति संभाजी महाराज को क्रूरतापूर्वक प्रताड़ित कर उनकी हत्या कर दी थी? नागपुर हिंसा पर जवाब देते हुए शिंदे ने तीखा बयान दिया कि औरंगजेब कौन है और हमें उसे इतिहास में सम्मानजनक स्थान क्यों देना चाहिए?

डिप्टी सीएम ने कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष हर्षवर्धन सपकाल के उस बयान पर भी नाराजगी जताई, जिसमें मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के शासन की तुलना औरंगजेब के शासन से की गई थी। शिंदे ने इसे हास्यास्पद करार देते हुए कहा कि क्या फडणवीस ने किसी को भी उस तरह प्रताड़ित किया, जैसा कि औरंगजेब ने अपने विरोधियों के साथ किया था? उन्होंने अनिल परब पर भी निशाना साधते हुए कहा कि क्या मुख्यमंत्री ने कभी उनके साथ किसी तरह का अन्याय किया?

इस बयान के बाद विधान परिषद में बवाल मच गया। अनिल परब सहित विपक्षी नेता अंबादास दानवे और अन्य विधायकों ने विरोध जताते हुए अपनी बात रखने की अनुमति मांगी, लेकिन परिषद के अध्यक्ष राम शिंदे ने उन्हें बोलने की इजाजत नहीं दी। इससे नाराज विपक्षी नेता सदन में खड़े होकर नारेबाजी करने लगे।

शिंदे ने इस पूरे विवाद के बीच कांग्रेस पर भी हमला बोलते हुए कहा कि यह कांग्रेस ही थी, जिसने औरंगजेब की कब्र को सुरक्षा प्रदान की। उन्होंने कहा कि अमेरिका ने भी ओसामा बिन लादेन को मारने के बाद यह सुनिश्चित किया था कि उसे समुद्र में दफनाया जाए ताकि कोई उसका महिमामंडन न कर सके। इसी तर्ज पर उन्होंने सवाल किया कि आखिर औरंगजेब की कब्र की सुरक्षा की जरूरत ही क्यों पड़ी? उन्होंने स्पष्ट कहा कि शिवसेना को कांग्रेस जैसे दलों से बचाने के लिए ही उन्होंने बगावत की थी और खुलकर अपनी लड़ाई लड़ी थी।

यह विवाद अब महाराष्ट्र की राजनीति में नया मोड़ ले सकता है, क्योंकि इसे हिंदुत्व और मराठा गौरव से जोड़कर देखा जा रहा है। सत्ता पक्ष इसे कांग्रेस और शिवसेना (यूबीटी) के तथाकथित “मुगल प्रेम” से जोड़ रहा है, जबकि विपक्ष इसे भाजपा और शिंदे गुट की राजनीति करार दे रहा है।