त्योहारों में मिलावट का दौर शुरू, शहर-शहर ‘मिलावटखोर’, प्रशासन कर रहा कारवाई
भारतीय त्योहारों की श्रृंखला शुरू हो चुकी है जिसमें सबसे बड़ा त्योहार दिवाली है जहा बाजार में तरह-तरह के खाने पीने की चीज मार्केट में आती हैं और लोग खरीद कर उसका उपयोग भी करते हैं किंतु इन दिनों मार्केट में बहुत सारी ऐसी खाने वाले समान मार्केट में जो मिलावटी मिठाइयों के साथ-साथ पैकेट में बंद करके बेचा जा रहा है इन खाने पीने वाले सामानों का पैकेजिंग जो कि ज्यादातर बेकरी आइटम के रूप में उपलब्ध है जिसे लोग धड़ल्ले से लेकर खाते हैं ना उनके मैन्युफैक्चरिंग डेट का पता होता है ना उनके एक्सपायरी डेट का पता होता है ऐसी पैकेट बंद है चीज आपको रायपुर दुर्ग भिलाई शहर सहित पूरे जिले में बेकरी वालों के यहां बड़ी संख्या में उपलब्ध दिखाई देंगे जिससे लोगों के स्वास्थ्य के साथ सीधा खिलवाड़ किया जा रहा है|
क्योंकि खाद्य एवं औषधि प्रशासन विभाग के स्पष्ट निर्देश है कि खाने-पीने की चीजों में FSSAI द्वारा प्रदान किये गए लायसेंस नंबर अनिवार्य रूप से पाया जाना चाहिए। वही खाद्य पदार्थ की मैन्युफैक्चरिंग डेट और एक्सपायरी डेट स्पष्ट तौर पर लिखा जाना चाहिए ताकि उपभोक्ता उस खाद्य पदार्थ को अपनी सुविधा अनुसार खरीद कर उपयोग कर सके है लेकिन रायपुर दुर्ग भिलाई शहर में इन दोनों बेकरी वालों के द्वारा धड़ले से अपने ही दुकानों में बनाई हुई चीजों की पैकेट बंद करके बेचाजा जा रहा है जिसमें इन सब चीजों का निर्देश सहित लेवल नहीं लगा रहता है और लोग लेकर उसे खाते हैं जिससे अगर खाद्य पदार्थ में कुछ मिलावट सहित अपशिष्ट पाए जाते हैं उसके लिए कौन जिम्मेदार होगा। जिसमे मैन्युफैक्चरिंग डेट एक्सपायरी डेट सहित बनाने वाली कंपनी के बिना किसी जानकारी के धड़ल्ले से बेचा जा रहा है खास करके हम बेकरी आइटमों की बात करें तो तमाम दुर्ग भिलाई सहित जिले के विभिन्न इलाकों में बेकरी आइटमों की भरमार है।
लेकिन इसके लिए जिम्मेदार खाद एवं औषधि प्रशासन विभाग के जिम्मेदार अधिकारी लगातार खाद्य पदार्थों के सैंपल तो ले रहे हैं लेकिन इन पैकेट में बंद बिना किसी लेवल वाले खाने योग्य पदार्थ की तरफ ध्यान नहीं दे रहे हैं और इस बीच एक नया ट्रेड चल पड़ा है कि सिर्फ खाने के बंद पैकेट सामानों में समाप्ति की डेट लिख दिया जाता है कि इससे पहले इस खाद्य पदार्थ का उपयोग कर सकते हैं लेकिन उसकी मैन्युफैक्चरिंग डेट 10 दिन पहले है महीना दिन पहले है इसका कोई जिक्र नहीं होता जिससे उपयोग करने वाले ग्राहक को पता नहीं चलता कि यह सामान कब का बना है और कितने दिन पहले बना है सिर्फ समाप्ति की डेट देखकर वह ले लेता है। लेकिन इस और किसी भी जिम्मेदार अधिकारियों द्वारा ध्यान नहीं दिया जा रहा है इस संबंध में जब दुर्ग जिला मुख्य चिकित्सा अधिकारी से बात की गई तो उन्होंने का कहना है कि खास करके सिर्फ समाप्ति की तारीख लिख देना यह गलत है जो भी प्रोडक्ट खाने के मार्केट में आ रहे हैं वह खाद एवं औषधि प्रशासन के जिम्मेदार अधिकारियों को इसके लिए तत्काल संज्ञान में लेते हुए कार्रवाई के आदेश दिए जाएंगे।