आरजी कर केस: कलकत्ता हाईकोर्ट में न्याय की नई पहल, सीबीआई, परिवार और दोषी की दलीलें सुनी जाएंगी
कोलकाता : कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज-अस्पताल में एक प्रशिक्षु महिला डॉक्टर से हुए दुष्कर्म और उसकी हत्या का मामला पूरी तरह से पश्चिम बंगाल और देशभर में चर्चा का केंद्र बन गया है। इस जघन्य अपराध के मुख्य आरोपी संजय रॉय को सियालदह कोर्ट ने आजीवन कारावास की सजा सुनाई, जिसे राज्य सरकार ने अपर्याप्त मानते हुए कलकत्ता हाईकोर्ट में मौत की सजा की मांग की है। इस मुद्दे पर पश्चिम बंगाल सरकार के महाधिवक्ता किशोर दत्ता ने न्यायमूर्ति देबांगशु बसाक की खंडपीठ में याचिका दायर की है। हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को इस अपील को दायर करने की अनुमति दे दी है, और अब सोमवार को इस पर सुनवाई होने की संभावना है।
यह मामला 8 अगस्त की रात का है, जब आरजी कर मेडिकल कॉलेज में स्नातकोत्तर द्वितीय वर्ष की एक प्रशिक्षु महिला डॉक्टर ने रात का भोजन अपने दोस्तों के साथ करने के बाद अपनी ड्यूटी पूरी की। इसके बाद, वह रहस्यमय ढंग से लापता हो गई। अगले दिन सुबह, मेडिकल कॉलेज में हड़कंप मच गया जब चौथी मंजिल के सेमिनार हॉल में महिला डॉक्टर का अर्धनग्न शव बरामद हुआ। घटनास्थल से गद्दे पर खून के धब्बे और पीड़िता का मोबाइल और लैपटॉप भी मिला।
पोस्टमार्टम रिपोर्ट से दुष्कर्म की पुष्टि हुई। रिपोर्ट में बताया गया कि मृतका के मुंह, आंखों और गुप्तांगों पर गंभीर चोट के निशान थे। उसके होठ, गर्दन, पेट, और अन्य अंगों पर चोटों के स्पष्ट संकेत मिले। यह क्रूरता से किया गया कृत्य राज्य में जनता और चिकित्सकीय समुदाय में आक्रोश का कारण बना।
हालांकि, सियालदह कोर्ट ने मामले को दुर्लभतम की श्रेणी में नहीं माना और आरोपी संजय रॉय को मौत की सजा देने के अनुरोध को खारिज करते हुए आजीवन कारावास की सजा सुनाई। राज्य सरकार और पीड़िता के परिवार ने इस फैसले को चुनौती देने के लिए कदम उठाया। कलकत्ता हाईकोर्ट ने अब इस मामले में सीबीआई, पीड़ित परिवार और दोषी को सुनने का निर्णय लिया है।
सीबीआई ने भी इस मामले में सियालदह कोर्ट के फैसले को चुनौती देने और मृत्युदंड की मांग के लिए विस्तृत दलीलें पेश करने की योजना बनाई है। सीबीआई का कहना है कि यह अपराध इतना वीभत्स है कि इसे दुर्लभतम मामलों की श्रेणी में रखा जाना चाहिए, और आरोपी को सख्त से सख्त सजा मिलनी चाहिए।
इस हृदयविदारक घटना ने न केवल पश्चिम बंगाल में बल्कि पूरे देश में महिलाओं की सुरक्षा और न्याय व्यवस्था की स्थिति पर सवाल खड़े कर दिए हैं। इससे जुड़े सभी पक्ष हाईकोर्ट की आगामी सुनवाई में अपनी-अपनी दलीलें रखेंगे, जिससे इस बहुप्रतीक्षित न्याय की दिशा में एक और कदम उठाया जा सके।