Rahul Gandhi’s statement: व्यापार और एकाधिकार के बीच के अंतर को किया स्पष्ट,भाजपा पर निशाना
Rahul Gandhi’s statement: कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने हाल ही में सोशल मीडिया पर पोस्ट किए गए एक वीडियो में यह स्पष्ट किया कि वह व्यापार विरोधी नहीं हैं, जैसा कि भाजपा उनकी छवि को पेश कर रही है। उन्होंने कहा, “मैं एकाधिकार विरोधी हूं, मैं व्यापार पर कुछ चुनिंदा लोगों का वर्चस्व बनाने का विरोधी हूं।” राहुल गांधी ने जोर देते हुए कहा कि उनकी आलोचना के बावजूद, वह प्रगतिशील भारतीय व्यापार और नवाचार के समर्थक हैं, और उनका उद्देश्य एक ऐसा व्यवसायिक वातावरण बनाना है जो सभी के लिए निष्पक्ष और स्वतंत्र हो।
यह बयान राहुल गांधी द्वारा एक समाचार पत्र में प्रकाशित लेख के एक दिन बाद आया, जिसमें उन्होंने एक नए सौदे की आवश्यकता की बात की थी, ताकि भारतीय कारोबार को मजबूती और स्वतंत्रता मिल सके। उन्होंने इस लेख में यह भी लिखा था कि ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी का भारतीय अर्थव्यवस्था पर नियंत्रण पूरी तरह से एकाधिकार की तरह था, और उन्होंने इसके समान अब भारत में भी कुछ चुनिंदा शक्तियों के वर्चस्व की ओर इशारा किया। उनका कहना था कि इस एकाधिकार के खिलाफ आवाज उठाना जरूरी है, ताकि भारतीय व्यवसायों को स्वतंत्र और निष्पक्ष रूप से फलने-फूलने का अवसर मिले।
राहुल गांधी ने अपने करियर की शुरुआत एक प्रबंधन सलाहकार के रूप में की थी, इसलिए वह व्यवसाय के महत्व को समझते हैं और यह जानते हैं कि व्यापार को कैसे सफल बनाया जा सकता है। उन्होंने कहा कि उनका विरोध एकाधिकार और अल्पाधिकार के खिलाफ है, न कि व्यवसाय के खिलाफ। उनका उद्देश्य नौकरियों, व्यापार, नवाचार और प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा देना है, ताकि एक स्वस्थ और समावेशी कारोबारी माहौल बनाया जा सके।
भा.ज.पा. ने इस मुद्दे पर राहुल गांधी पर पलटवार करते हुए उन्हें तथ्यों की जांच किए बिना निष्कर्ष पर पहुंचने की नसीहत दी। भाजपा ने कहा कि राहुल गांधी के आरोप बेबुनियाद हैं और उन्होंने मोदी सरकार के खिलाफ निराधार बयान दिए हैं। भाजपा ने राहुल की आलोचना करते हुए कहा कि वह बिना तथ्यों को जांचे निष्कर्ष पर पहुंचते हैं, जिससे उनकी विश्वसनीयता पर सवाल उठते हैं।
यह मामला भारत में बढ़ते एकाधिकार और बाजार में प्रतिस्पर्धा को लेकर चल रही बहस के बीच एक महत्वपूर्ण मोड़ है, जिसमें राहुल गांधी ने व्यापार और एकाधिकार के बीच अंतर को स्पष्ट किया है और भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए नए दृष्टिकोण की आवश्यकता पर जोर दिया है।