पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह के अंतिम संस्कार की तैयारियां, बेटी, नाती, या परिजन – कौन देगा मुखाग्नि?

भारत के पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह का गुरुवार को दुखद निधन हो गया, जिसने पूरे देश को गहरे शोक में डुबो दिया है। उनकी विदाई के साथ जुड़ी प्रक्रियाओं पर चर्चा अब राष्ट्रीय स्तर पर हो रही है, खासकर इस सवाल पर कि उन्हें मुखाग्नि कौन देगा। शास्त्रीय और आधुनिक दृष्टिकोण के संदर्भ में यह विषय अत्यधिक चर्चा का केंद्र बन गया है।

डॉ. मनमोहन सिंह: एक अभूतपूर्व नेता की विदाई

पूर्व प्रधानमंत्री का पार्थिव शरीर दिल्ली स्थित उनके निवास पर अंतिम दर्शनों के लिए रखा गया है। केंद्र सरकार ने उनकी स्मृति में सात दिनों के राष्ट्रीय शोक की घोषणा की है। उनके पार्थिव शरीर को अंतिम विदाई देने के लिए आमजन, पार्टी कार्यकर्ता और वरिष्ठ नेताओं की भारी भीड़ उमड़ रही है। शनिवार को कांग्रेस मुख्यालय में अंतिम दर्शन के बाद उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा।

डॉ. सिंह के निधन के समय, उनकी तीन बेटियां उपिंदर सिंह, दमन सिंह, और अमृत सिंह, जो अपने-अपने क्षेत्रों में प्रतिष्ठित नाम हैं, भारत में उपस्थित नहीं थीं। उनके अमेरिका से भारत पहुंचने का इंतजार किया जा रहा है।

मुखाग्नि का महत्व और परंपरा

हिंदू शास्त्रों के अनुसार, मृत्यु के बाद शव को मुखाग्नि देना एक प्रमुख कर्तव्य और जिम्मेदारी है। यह परंपरागत रूप से पुरुष उत्तराधिकारी जैसे पुत्र या निकटतम रिश्तेदार द्वारा निभाई जाती है। परंतु जब परिवार में पुत्र न हो, तो यह कर्तव्य अन्य परिजनों जैसे बेटियों, दामादों या नातियों को निभाने का अधिकार दिया जाता है।

क्या बेटियां दे सकती हैं मुखाग्नि?
आधुनिक समाज में बेटियों द्वारा मुखाग्नि दिए जाने की परंपरा को न केवल सामाजिक स्वीकृति मिली है, बल्कि इसे कानूनी और धार्मिक रूप से भी उचित माना गया है। धार्मिक विद्वानों का मानना है कि बेटियां भी समान रूप से अपने माता-पिता के अंतिम संस्कार का अधिकार और जिम्मेदारी निभा सकती हैं। इस बात के कई उदाहरण हैं जब बेटियों ने मुखाग्नि देकर अपनी जिम्मेदारी निभाई है।

नातियों की भूमिका
डॉ. मनमोहन सिंह की तीनों बेटियों के परिवारों में नाती मौजूद हैं। भारतीय परंपरा और शास्त्रों के अनुसार, नाती भी अपने नाना के अंतिम संस्कार की जिम्मेदारी निभा सकता है। धार्मिक दृष्टि से नाती परिवार का अभिन्न अंग माना जाता है और यह भूमिका निभाने के लिए पूरी तरह योग्य होता है।

अंतिम संस्कार का निर्णय: परिवार की प्राथमिकता

डॉ. सिंह के अंतिम संस्कार से जुड़े इस फैसले को लेकर परिवार की भावनाएं और परंपराएं प्राथमिकता में रहेंगी। यह पूरी तरह से उनके परिवार पर निर्भर करेगा कि मुखाग्नि का यह कर्तव्य कौन निभाएगा।

आधुनिक दृष्टिकोण और समाज का विकास

हाल के वर्षों में बेटियों, पत्नी या अन्य करीबी परिजनों द्वारा मुखाग्नि देने की परंपरा तेजी से सामान्य हो रही है। यह न केवल सामाजिक परिवर्तनों का संकेत है, बल्कि यह दिखाता है कि परिवार के प्रति प्यार, सम्मान और कर्तव्य निर्वाह में लिंग कोई बाधा नहीं है।

सार्वजनिक सम्मान और राष्ट्रीय श्रद्धांजलि

देशभर के नेता, आमजन और गणमान्य व्यक्ति डॉ. मनमोहन सिंह को श्रद्धांजलि अर्पित कर रहे हैं। उनका जीवन और योगदान भारतीय राजनीति और अर्थव्यवस्था के लिए अप्रतिम था। उनका सम्मानजनक विदाई समारोह उनकी महत्ता और विरासत को सर्वोच्च श्रद्धांजलि के रूप में चिह्नित करेगा।

डॉ. सिंह की अंतिम विदाई सिर्फ एक नेता के निधन को नहीं दर्शाती, बल्कि यह परिवार और समाज के स्तर पर परंपरा और आधुनिकता के संगम का उदाहरण भी बनेगी।