कवासी लखमा की गिरफ्तारी के बाद राजनीति गरमाई, शराब घोटाले की तफ्तीश में क्या अब भूपेश बघेल भी होंगे गिरफ्तार
रायपुर: छत्तीसगढ़ में हुए शराब घोटाले के मामले ने राजनीतिक और प्रशासनिक हलकों में हलचल मचा दी है। इस मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने बड़ी कार्रवाई करते हुए राज्य के पूर्व आबकारी मंत्री और आदिवासी नेता कवासी लखमा को गिरफ्तार कर लिया है। ईडी की जांच में लखमा की घोटाले में कथित संलिप्तता उजागर होने के बाद उन्हें 21 जनवरी तक पुलिस रिमांड पर भेज दिया गया। कांग्रेस नेताओं ने इसे राजनीतिक दुर्भावना की कार्रवाई बताया। पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और उपमुख्यमंत्री टीएस सिंहदेव ने सोशल मीडिया पर इस कदम की आलोचना की और इसे आदिवासियों के खिलाफ साजिश बताया। वरिष्ठ कांग्रेस नेता चरणदास महंत ने भी भाजपा पर निशाना साधते हुए इसे राजनीतिक प्रतिशोध करार दिया।
ईडी की जांच और घोटाले का खुलासा
ईडी के अनुसार, 2019 से 2022 के बीच शराब दुकानों पर नकली होलोग्राम का इस्तेमाल करके बड़े पैमाने पर अवैध शराब की बिक्री की गई। घोटाले का संचालन कथित रूप से पूर्व आईएएस अधिकारी विवेक ढांड की देखरेख में किया गया। ईडी ने ढांड को इस पूरे घोटाले का मास्टरमाइंड करार दिया है, जिसने अपने सहयोगियों अनवर ढेबर, अनिल टुटेजा और अरुणपति त्रिपाठी के साथ मिलकर 2,161 करोड़ रुपये की अवैध कमाई की। शराब कंपनियों से अवैध उत्पादन और बिक्री के बदले कमीशन लिया गया। अवैध शराब को छिपाने के लिए दुकानों पर डुप्लिकेट होलोग्राम लगाए गए, जिन्हें नोएडा की प्रिज्म होलोग्राफी सिक्योरिटी फिल्म्स प्राइवेट लिमिटेड द्वारा बनाया गया था। जांच में यह कंपनी इस काम के लिए अयोग्य पाई गई, लेकिन फिर भी इसे नियमों में बदलाव करके टेंडर दिया गया।
राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप
लखमा की गिरफ्तारी पर भाजपा और कांग्रेस के नेताओं के बीच तीखे बयानबाजी का दौर चल रहा है। भाजपा के प्रदेश प्रभारी नितिन नबीन ने भूपेश बघेल सरकार पर आदिवासियों के नाम पर घोटाले को अंजाम देने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि घोटाले का मास्टरमाइंड जल्द पकड़ा जाएगा। वहीं, मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने घोटाले की जांच का समर्थन करते हुए कहा कि इसमें दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
लखमा की स्थिति और बयान
गिरफ्तारी के बाद भी कवासी लखमा ने अपने चिर-परिचित अंदाज में ईडी की पूछताछ को टालने की कोशिश की। उन्होंने खुद को अनपढ़ बताते हुए घोटाले के लिए अधिकारियों को जिम्मेदार ठहराया। ईडी को उम्मीद है कि लखमा जल्द ही सही जानकारी देंगे और अन्य नेताओं की संलिप्तता का भी खुलासा करेंगे।
घोटाले की व्यापकता
ईडी की रिपोर्ट के अनुसार, यह घोटाला छत्तीसगढ़ सरकार के राजस्व विभाग को भारी नुकसान पहुंचाने वाला साबित हुआ। नकली होलोग्राम और अवैध शराब की बिक्री से हजारों करोड़ का घाटा हुआ। शराब सिंडिकेट के तहत शराब उत्पादन और सप्लाई पर पूरा नियंत्रण था। ईडी ने इस मामले में दर्जनों दस्तावेज और सबूत जुटाए हैं, जिनसे यह साबित होता है कि पूरे नेटवर्क ने योजनाबद्ध तरीके से घोटाले को अंजाम दिया।
शिक्षा और अन्य विकास पर टिप्पणियां
इस पूरे घटनाक्रम के बीच मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने कहा कि प्रदेश में शिक्षा विकास की नींव है, और उनकी सरकार ने शिक्षा में सुधार के कई अभूतपूर्व कदम उठाए हैं। हालांकि, शराब घोटाले ने राज्य में प्रशासनिक ईमानदारी और पारदर्शिता पर सवाल खड़े कर दिए हैं।
छत्तीसगढ़ का शराब घोटाला राज्य की राजनीति और प्रशासन की साख पर गहरी चोट करता है। यह मामला न केवल आदिवासी समुदाय की भावनाओं को प्रभावित कर रहा है, बल्कि ईमानदारी और पारदर्शिता के लिए नई चुनौतियां भी पैदा कर रहा है। आने वाले दिनों में ईडी की जांच और राजनीतिक बयानबाजी के कारण यह मामला और अधिक गर्माएगा।