पेंशन कोई एहसान नहीं, ये पिछली सेवाओं का भुगतान है

दुर्ग में आयोजित भारतीय राज्य पेंशनर्स महासंघ की दुर्ग जिला शाखा के सम्मान समारोह ने वरिष्ठ पेंशनर्स के अनुभव, योगदान और उनकी महत्ता को उजागर किया। यह आयोजन केशरी नंदन हनुमान मंदिर, मीनाक्षी नगर में हुआ, जहां 75 वर्ष की आयु पूरी कर चुके पांच वरिष्ठ पेंशनर्स—गजानंद वर्मा, कुंवर सिंह सिन्हा, घनश्याम सोनी, सेवाराम दिल्लीवार और राजेंद्र कुमार तिवारी—का शाल, श्रीफल और पुष्प मालाओं से आत्मीयतापूर्ण सम्मान किया गया।
कार्यक्रम की शुरुआत
अध्यक्ष बी.के. वर्मा, सचिव पी.आर. साहू और उच्च शिक्षा प्रभारी प्रो. महेश चंद्र शर्मा ने महात्मा गांधी की तस्वीर पर माल्यार्पण और दीप प्रज्वलन कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया।

मुख्य वक्तव्य
आचार्य डॉ. महेश चंद्र शर्मा ने अपने संबोधन में वरिष्ठ नागरिकों की महत्ता पर प्रकाश डालते हुए उन्हें “ज्ञानवृद्ध, विवेक वृद्ध, अनुभव वृद्ध और वयोवृद्ध” कहा। उन्होंने बताया कि समाज और देश के लिए इनकी भागीदारी और आशीर्वाद सदैव आवश्यक है।

अध्यक्ष बी.के. वर्मा ने सम्मानित पेंशनर्स का परिचय देते हुए 1982 में सुप्रीम कोर्ट के ऐतिहासिक फैसले का जिक्र किया, जिसमें न्यायाधीश यशवंत विष्णु चंद्रचूड़ ने कहा था कि पेंशन कोई कृपा या अनुग्रह नहीं, बल्कि कर्मचारियों द्वारा की गई सेवाओं का भुगतान है।

आयोजन के सहभागी
कार्यक्रम का संचालन बी.के. शर्मा ने किया। इस अवसर पर पी.एन. साहू, एन.के. देशमुख, बी.आर. साहू, जगमोहन सिन्हा, पी.एस. बघेल, डी.पी. दिल्लीवार सहित बड़ी संख्या में पेंशनर्स एसोसिएशन के सदस्य उपस्थित रहे।

यह कार्यक्रम न केवल वरिष्ठ नागरिकों के योगदान को मान्यता देने का एक प्रयास था, बल्कि यह युवा पीढ़ी के लिए भी प्रेरणा का स्रोत बना। इससे समाज में वरिष्ठों के प्रति सम्मान और उनके अनुभवों के प्रति आभार प्रकट करने का संदेश मिलता है।