पाकिस्तान की बांग्लादेश में नई साजिश: यूनुस सरकार के साथ रणनीतिक कदम उठाने की योजना

ढाका: बांग्लादेश और भारत ने दशकों से एक मजबूत और विश्वसनीय सहयोगी संबंध बनाए रखा है, लेकिन हाल के राजनीतिक परिवर्तनों ने पाकिस्तान को बांग्लादेश में पैर जमाने का एक नया मौका दिया है। शेख हसीना की सरकार के तहत, पाकिस्तान के लिए ढाका में अपनी उपस्थिति स्थापित करना मुश्किल था, लेकिन अगस्त में हुए महत्वपूर्ण सियासी घटनाक्रमों ने स्थिति को बदल दिया है।

पिछले महीने, शेख हसीना को विरोध प्रदर्शनों के बाद प्रधानमंत्री पद छोड़ना पड़ा और बांग्लादेश में एक नई अंतरिम सरकार का गठन हुआ। हसीना को भारत के प्रति सहानुभूति रखने वाली नेता के रूप में जाना जाता था, जबकि पाकिस्तान के साथ उनके रिश्ते कभी भी सौहार्दपूर्ण नहीं रहे। हसीना के शासनकाल में पाकिस्तान ने कई बार बांग्लादेश के साथ अपने रिश्ते सुधारने की कोशिश की, लेकिन इन प्रयासों को विशेष सफलता नहीं मिली।

अब, बांग्लादेश में सत्ता परिवर्तन के साथ, पाकिस्तान अपने लिए नए अवसर देख रहा है। पाकिस्तानी पत्रकार और यूट्यूबर कामरान यूसुफ ने हाल ही में एक वीडियो में बताया कि पाकिस्तान इस नए राजनीतिक परिदृश्य का लाभ उठाने के लिए कौन-कौन से कदम उठा सकता है।

कामरान के अनुसार, बांग्लादेश में पाकिस्तान के प्रति रुख में बदलाव आया है। नई अंतरिम सरकार के प्रमुख मोहम्मद यूनुस और पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ के बीच बातचीत के बाद, तीन प्रमुख क्षेत्र हैं जहां पाकिस्तान अपनी रणनीति को आगे बढ़ा सकता है:

  • राजनयिक दर्जा और सुविधाएं: पाकिस्तान के राजनयिकों को बांग्लादेश में अब अन्य देशों के राजनयिकों के समान दर्जा मिलने की उम्मीद है, जिससे उनकी कार्यक्षमता में वृद्धि होगी। पूर्व में, पाकिस्तान के डिप्लोमेट्स को बांग्लादेश में बहुत सीमित गतिविधियों की अनुमति थी, जबकि भारत के डिप्लोमेट्स को अधिक सम्मान मिलता था।
  • द्विपक्षीय फोरम की बहाली: पाकिस्तान और बांग्लादेश के बीच द्विपक्षीय संबंधों की बेहतरी के लिए बनाए गए फोरम लंबे समय से निष्क्रिय थे। हसीना के शासन के दौरान ये फोरम निष्क्रिय रहे, लेकिन अब उम्मीद है कि नई सरकार इन फोरम को फिर से सक्रिय करेगी, जो दोनों देशों के रिश्तों को सुधारने में मदद करेगा।
  • 1971 के युद्ध अपराधों का मुद्दा: बांग्लादेश की स्वतंत्रता संग्राम के दौरान पाकिस्तान के द्वारा किए गए अत्याचारों का मुद्दा दोनों देशों के रिश्तों में एक महत्वपूर्ण बाधा रहा है। हसीना के शासनकाल में, पाकिस्तान को इस मुद्दे पर बार-बार घेर लिया गया। अब पाकिस्तान नई सरकार के साथ इस मुद्दे को हल करने की उम्मीद कर रहा है। पाकिस्तानी राजदूत ने बांग्लादेश के एक मंत्री से 1971 के मुद्दे पर बातचीत की है और समाधान की दिशा में कदम उठाने का अनुरोध किया है।

पाकिस्तान को उम्मीद है कि नई अंतरिम सरकार के साथ ये प्रयास सफल होंगे और बांग्लादेश में स्थितियां उनके पक्ष में बदलेंगी। यह विकास न केवल बांग्लादेश-पाकिस्तान के रिश्तों पर असर डाल सकता है, बल्कि पूरे क्षेत्रीय राजनीति पर भी प्रभाव डाल सकता है।