पाकिस्तान का कश्मीर राग: शहबाज शरीफ की नई बयानबाजी, क्या है इसके पीछे का मंसूबा?
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने एक बार फिर जम्मू-कश्मीर के मुद्दे को उठाते हुए संयुक्त राष्ट्र महासभा में भारत के खिलाफ बयानबाजी की है। शरीफ ने अपने 20 मिनट के भाषण में कश्मीर की आज़ादी की लड़ाई और भारत द्वारा अनुच्छेद 370 को निरस्त करने के फैसले की वापसी की आवश्यकता का उल्लेख किया। उन्होंने कश्मीर के लोगों की संघर्षशीलता को फलस्तीन के लोगों के संघर्ष के समान बताया, जो एक बार फिर से विवादित बयानबाजी का हिस्सा बन गया।
हालांकि, भारत ने हमेशा की तरह पाकिस्तान के इन बेतुके आरोपों का खंडन किया है। नई दिल्ली ने स्पष्ट रूप से कहा है कि जम्मू-कश्मीर और लद्दाख भारत के अभिन्न हिस्से हैं और रहेंगे। भारत ने पाकिस्तान को यह भी सलाह दी है कि वह अपने आंतरिक मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करे बजाय इसके कि वह बेबुनियाद आरोपों के साथ सामने आए।
शरीफ का यह भाषण विशेष रूप से महत्वपूर्ण है क्योंकि यह एक ऐसे समय में आया है जब पाकिस्तान अपने आंतरिक हालात से जूझ रहा है। इससे यह भी स्पष्ट होता है कि पाकिस्तान अपने राजनीतिक संकटों और आर्थिक चुनौतियों से ध्यान हटाने के लिए कश्मीर के मुद्दे को उठाकर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चर्चा का विषय बनाना चाहता है।
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भारत ने पाकिस्तान के इस तरह के बयानों को बार-बार खारिज किया है और यह दोहराया है कि कश्मीर मुद्दा केवल पाकिस्तान के लिए एक औजार है जिसका उपयोग वह अपने देश के अंदरूनी मुद्दों से ध्यान भटकाने के लिए करता है। भारत की स्पष्ट नीति रही है कि वह कश्मीर को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर एक विवाद के रूप में नहीं मानता और इस मुद्दे को द्विपक्षीय बातचीत के माध्यम से हल करने की कोशिश की जाती है।
पाकिस्तान की इस प्रकार की बयानबाजी केवल एक रणनीतिक चाल के रूप में देखी जा रही है, जो उसके नकारात्मक इरादों को उजागर करती है। शरीफ के बयान से यह भी संकेत मिलता है कि पाकिस्तान की कश्मीर नीति अब भी ठोस और संवेदनशील बनी हुई है, जबकि भारत की स्थिति स्पष्ट है कि कश्मीर का भविष्य केवल भारतीय संप्रभुता के भीतर ही है।