“पाकिस्तान: पीटीआई के 153 कार्यकर्ताओं को एटीसी से मिली जमानत, इमरान खान के आह्वान पर विरोध प्रदर्शन के बाद बढ़ा राजनीतिक तनाव”
इस्लामाबाद: पाकिस्तान में पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान की पार्टी, पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई), के 153 कार्यकर्ताओं को आतंकवाद रोधी अदालत (एटीसी) से जमानत मिल गई है। इन कार्यकर्ताओं को एक महीने पहले इमरान खान के आह्वान पर सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन में भाग लेने के दौरान गिरफ्तार किया गया था। अदालत ने इन कार्यकर्ताओं को 5,000 रुपये के मुचलके पर जमानत देते हुए रिहा करने का आदेश दिया।
यह मामला तब शुरू हुआ जब 13 नवंबर को इमरान खान ने देशव्यापी विरोध प्रदर्शन का आह्वान किया था। इस आह्वान के बाद, पीटीआई के हजारों समर्थक इस्लामाबाद पहुंचे और सरकार के खिलाफ प्रदर्शन किया। उनकी मांगों में चुनाव अधिकार की बहाली, पीटीआई कार्यकर्ताओं की रिहाई, और संविधान के 26वें संशोधन को पलटने जैसी बातें शामिल थीं। पुलिस ने विरोध प्रदर्शन को तितर-बितर करने के लिए कार्रवाई की और 1,400 से अधिक लोगों को गिरफ्तार किया।
शुक्रवार को एटीसी ने पीटीआई के 177 कार्यकर्ताओं की जमानत याचिका पर सुनवाई की। इनमें से 153 को जमानत दी गई, जबकि 24 की याचिकाएं खारिज कर दी गईं। इससे पहले 3 जनवरी को 250 प्रदर्शनकारियों को जमानत दी गई थी और 6 जनवरी को 192 कार्यकर्ताओं को राहत मिली थी।
इमरान खान और राजनीतिक संकट का दौर
अगस्त 2023 से इमरान खान रावलपिंडी की अदिलाया जेल में बंद हैं। उन पर भ्रष्टाचार के आरोप सहित कई मामले दर्ज हैं। उनकी गिरफ्तारी के बाद से ही पीटीआई और पाकिस्तान की शहबाज शरीफ सरकार के बीच तनाव और गहराया है। फरवरी 2024 में हुए आम चुनाव के परिणामों के बाद इस टकराव ने और उग्र रूप ले लिया है। पीटीआई समर्थक अपनी पार्टी के अधिकारों की बहाली और अन्य मुद्दों पर सड़कों पर उतरने को मजबूर हुए हैं।
विरोध प्रदर्शन और जमानत याचिकाओं का प्रभाव
पाकिस्तान के राजनीतिक परिदृश्य में यह विरोध प्रदर्शन लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं और सरकार-पार्टी संबंधों की खामियों को उजागर करता है। कार्यकर्ताओं को जमानत मिलने से जहां उनके परिवारों को राहत मिली है, वहीं यह सरकार के दबाव और पुलिस की कार्रवाई पर सवाल भी उठाता है।
विशेषज्ञों का कहना है कि पीटीआई और सरकार के बीच यह टकराव आगे चलकर देश के राजनीतिक और सामाजिक ढांचे पर व्यापक असर डाल सकता है। विरोध प्रदर्शन और अदालत में जमानत मिलने जैसी घटनाएं इस बात की ओर इशारा करती हैं कि राजनीतिक स्थिरता की राह अभी काफी लंबी और चुनौतीपूर्ण है।