नीतीश कुमार की जेडीयू ने मणिपुर में भाजपा सरकार से समर्थन वापस लिया, राजनीतिक समीकरणों में बड़ा बदलाव

नई दिल्ली:  बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पार्टी जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) ने मणिपुर में भाजपा सरकार से समर्थन वापस लेकर एक बड़ा कदम उठाया है। मणिपुर की 60 सदस्यीय विधानसभा में भाजपा के पास 32 सीटें हैं, लेकिन जेडीयू के साथ गठबंधन में वह और भी मजबूत स्थिति में थी। अब जेडीयू के समर्थन वापस लेने के बाद भाजपा के लिए यह एक बड़ा राजनीतिक झटका साबित हुआ है। मणिपुर में स्थिति पहले से ही काफी संवेदनशील है, खासतौर पर दो समुदायों, कुकी और मैतेई के बीच जारी हिंसक झड़पों के कारण। इसके अलावा, गुवाहाटी हाई कोर्ट द्वारा मैतेई समुदाय को आदिवासी इलाकों में बसने की अनुमति मिलने के बाद स्थिति और भी बिगड़ गई थी, जो मणिपुर के जातीय संघर्षों को और गहरा कर रहा है।

भले ही जेडीयू का समर्थन वापस लेने से भाजपा की सरकार को तत्काल कोई खतरा न हो, लेकिन यह कदम राजनीतिक दृष्टिकोण से बेहद महत्वपूर्ण है। राज्य की राजनीतिक स्थिति में अब बदलाव की संभावना को देखते हुए इस फैसले को लेकर कई तरह की सियासी गूंज सुनाई दे रही है। मणिपुर की भाजपा सरकार, जिसकी कमान एन. बीरेन सिंह के पास है, पहले ही विपक्ष और आम जनता के दबाव में आ चुकी थी। सरकार पर हिंसा नियंत्रण में नाकामी के आरोप लगते रहे हैं, बावजूद इसके भाजपा ने उन्हें मुख्यमंत्री बनाए रखने का निर्णय लिया था।

इस महत्वपूर्ण घटनाक्रम को बिहार में आगामी विधानसभा चुनावों के संदर्भ में भी देखा जा रहा है। जेडीयू ने अब मणिपुर से अपने समर्थन वापस लेकर भाजपा पर सीटों के बंटवारे को लेकर दबाव बनाना शुरू कर दिया है। नीतीश कुमार की पार्टी की तरफ से यह कदम उस रणनीति का हिस्सा हो सकता है, जिसके तहत वह भाजपा से बिहार चुनावों में अपने पक्ष में सीटों की अधिक हिस्सेदारी की मांग कर सकते हैं। इस तरह का राजनीतिक कदम आने वाले चुनावों के समीकरण को भी प्रभावित कर सकता है, खासतौर पर जब भाजपा और जेडीयू के बीच बिहार में गठबंधन को लेकर विचार किए जा रहे हैं।

यह निर्णय मणिपुर की सामाजिक-राजनीतिक परिस्थिति और बिहार की आगामी राजनीति पर गहरा असर डाल सकता है, और आगामी दिनों में इसके और परिणाम देखने को मिल सकते हैं।