मल्लिकार्जुन खरगे ने कर्नाटक के केंद्रीय विश्वविद्यालय के विकास को लेकर लिखा पत्र, लंबित प्रस्तावों पर शीघ्रता की अपील

 बंगलूरू कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने शुक्रवार को केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान को पत्र लिखकर कर्नाटक के केंद्रीय विश्वविद्यालय से संबंधित महत्वपूर्ण विकासात्मक प्रस्तावों को जल्द मंजूरी देने का अनुरोध किया। यह विश्वविद्यालय कर्नाटक और आसपास के क्षेत्रों के छात्रों के लिए उच्च शिक्षा का प्रमुख केंद्र है। पत्र में खरगे ने बताया कि यह संस्थान न केवल शैक्षणिक असमानताओं को समाप्त करने में भूमिका निभाता है, बल्कि क्षेत्रीय विकास को भी गति देता है।

शैक्षणिक विभागों का विस्तार और नई संभावनाएं
कर्नाटक केंद्रीय विश्वविद्यालय ने अपने शैक्षणिक क्षमताओं को बढ़ाने के लिए कई नए विभागों की स्थापना का प्रस्ताव रखा है। इनमें सांख्यिकी, कृत्रिम बुद्धिमत्ता (आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस), पादप और पशु विज्ञान, आनुवंशिकी जैसे अत्याधुनिक विषय शामिल हैं। इन विषयों को पढ़ाने और अनुसंधान गतिविधियों को सुचारू रूप से संचालित करने के लिए 55 शिक्षण पदों की आवश्यकता जताई गई है। खरगे ने इन शैक्षणिक और प्रशासनिक पदों की स्वीकृति की मांग की है, जिससे विश्वविद्यालय छात्रों की बढ़ती जरूरतों को पूरा कर सके।

छात्रावास निर्माण और छात्र सुविधाओं का विकास
छात्र सुविधाओं के विस्तार की दिशा में, विश्वविद्यालय ने लड़के और लड़कियों के लिए अलग-अलग छात्रावासों के निर्माण का भी प्रस्ताव भेजा है। यह पहल ग्रामीण और वंचित पृष्ठभूमि से आने वाले छात्रों के लिए शिक्षा के मार्ग को सुलभ बनाने में सहायक होगी। खरगे ने अपने पत्र में जोर देकर कहा कि कर्नाटक केंद्रीय विश्वविद्यालय में बुनियादी ढांचे और सुविधाओं का विस्तार क्षेत्रीय और सामाजिक-आर्थिक विकास के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है।

वंचित क्षेत्रों के लिए शिक्षा का केंद्र
मल्लिकार्जुन खरगे ने पत्र में यह भी कहा कि कर्नाटक के वंचित और पिछड़े क्षेत्रों, विशेष रूप से कल्याण कर्नाटक क्षेत्र के छात्रों के लिए यह विश्वविद्यालय शिक्षा के अवसर प्रदान करने वाला एक अनमोल केंद्र है। इन क्षेत्रों में उच्च शिक्षा के सीमित संसाधनों को देखते हुए विश्वविद्यालय का महत्व और भी बढ़ जाता है। खरगे ने शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान से आग्रह किया कि इन लंबित प्रस्तावों को शीघ्र स्वीकृति देकर सरकार छात्रों और शिक्षकों को बेहतर भविष्य के अवसर उपलब्ध कराए।

सरकार की मंजूरी पर सबकी नजरें
यह देखना दिलचस्प होगा कि केंद्र सरकार खरगे के इस पत्र पर क्या रुख अपनाती है और शिक्षा मंत्रालय इन लंबित प्रस्तावों को कब तक मंजूरी देता है। मल्लिकार्जुन खरगे के इस कदम से यह स्पष्ट है कि वह कर्नाटक के छात्रों और शैक्षणिक संस्थानों के विकास को प्राथमिकता देने के लिए प्रतिबद्ध हैं। इसके साथ ही, सरकार का त्वरित निर्णय इस क्षेत्र की शिक्षा और बुनियादी ढांचे को मजबूत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।

यह पत्र इस बात का प्रतीक है कि देश के शैक्षणिक संस्थानों में सुधार के लिए नेताओं द्वारा आगे आकर ठोस प्रयास किए जा रहे हैं। अब यह सरकार की जिम्मेदारी होगी कि इन प्रस्तावों को प्राथमिकता देकर विकास के मार्ग को प्रशस्त करे।