मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा में कुएं की खुदाई के दौरान बड़ा हादसा, रेस्क्यू ऑपरेशन जारी

छिंदवाड़ा:  छिंदवाड़ा जिले के खुनाझिर खुर्द गांव में मंगलवार को एक पुराने कुएं को गहरा करने के दौरान दर्दनाक हादसा हो गया। हादसा तब हुआ जब खुदाई के दौरान कुआं अचानक धंस गया, जिससे तीन मजदूर मलबे में फंस गए। मलबे में दबे मजदूरों में एक महिला और दो पुरुष शामिल हैं, जो बुधनी क्षेत्र के निवासी थे और मजदूरी करने के लिए छिंदवाड़ा आए थे। हादसे के बाद से रेस्क्यू ऑपरेशन तेजी से चल रहा है, जिसमें जिला प्रशासन और एनडीआरएफ की टीम सक्रिय रूप से काम कर रही है।

मलबे में फंसे मजदूरों की स्थिति और रेस्क्यू ऑपरेशन की प्रगति

घटना के करीब 15 घंटे बाद भी रेस्क्यू ऑपरेशन जारी है। राहत की बात यह है कि तीनों मजदूरों के सिर मलबे के बाहर दिखाई दे रहे हैं और उनके जीवित होने के संकेत मिल रहे हैं। प्रशासन का कहना है कि सिर बाहर होने के कारण मजदूरों को ऑक्सीजन की तत्काल आवश्यकता नहीं है। हालांकि, बचाव कार्य में कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है।

कुआं काफी पुराना और कमजोर था, जिससे उसकी संरचना को नुकसान पहुंचा। स्थानीय अधिकारियों के मुताबिक, ब्लास्टिंग के कारण कुएं की दीवारें और कमजोर हो गईं थीं। सुरक्षा उपायों को ध्यान में रखते हुए, पोकलेन मशीन की मदद से कुएं के आसपास खुदाई की जा रही है ताकि मलबे में दबे मजदूरों को सुरक्षित निकाला जा सके। मौके पर चार एंबुलेंस तैनात हैं और डॉक्टरों की टीम भी अलर्ट पर है।

घटना की पृष्ठभूमि: खतरनाक परिस्थितियों में मजदूरी

खुनाझिर खुर्द गांव में इस पुराने कुएं को गहरा करने का काम चल रहा था, जिसके लिए कुल छह मजदूर लगे हुए थे। इनमें से तीन मजदूर कुएं के अंदर खुदाई कर रहे थे, जबकि बाकी मलबा बाहर निकालने का काम कर रहे थे। काम के दौरान अचानक कुएं की मिट्टी धंसने लगी, जिससे अंदर काम कर रहे तीन मजदूर मलबे में फंस गए।

यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि इतने पुराने और कमजोर कुएं में ब्लास्टिंग का सहारा लिया गया। स्थानीय लोगों का कहना है कि कार्य के दौरान सुरक्षा उपायों की अनदेखी की गई, जिसके कारण यह दुर्घटना हुई।

प्रशासन की तैयारी और प्रतिक्रिया

जिले के कलेक्टर शीलेंद्र सिंह ने घटना स्थल का दौरा किया और रेस्क्यू ऑपरेशन की निगरानी की। उन्होंने बताया कि ऑपरेशन के लिए सभी जरूरी संसाधन लगाए गए हैं। टीम लगातार मजदूरों से संवाद करने की कोशिश कर रही है और उन्हें मनोबल बनाए रखने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है।

रेस्क्यू में जुटी टीम को उम्मीद है कि जल्द ही तीनों मजदूरों को सुरक्षित निकाला जा सकेगा। प्रशासन ने हादसे के बाद सुरक्षा प्रबंधन को और मजबूत करने की आवश्यकता पर जोर दिया है।

ऐसी घटनाओं से सबक लेने की जरूरत

यह पहली बार नहीं है जब मध्य प्रदेश में इस तरह की दुर्घटना हुई है। इससे पहले, सागर जिले में छह जनवरी को तेज रफ्तार बोलेरो और ट्रक की टक्कर में चार लोगों की मौत हो गई थी। इन घटनाओं से यह स्पष्ट होता है कि सुरक्षा उपायों की कमी और लापरवाही के चलते न केवल लोगों की जान जोखिम में पड़ती है, बल्कि सामाजिक और प्रशासनिक तंत्र पर भी गंभीर सवाल उठते हैं।

समाज और सरकार की जिम्मेदारी

खुदाई जैसे जोखिमपूर्ण कार्यों के दौरान सुरक्षा प्रोटोकॉल का पालन करना न केवल श्रमिकों की सुरक्षा के लिए अनिवार्य है, बल्कि यह एक नैतिक जिम्मेदारी भी है। इस घटना से सीख लेते हुए, सरकार और ठेकेदारों को सुनिश्चित करना चाहिए कि भविष्य में किसी भी प्रकार के निर्माण या खुदाई कार्य में पर्याप्त सुरक्षा उपाय लागू हों।

यह घटना न केवल एक तकनीकी विफलता की ओर इशारा करती है, बल्कि यह हमारे समाज में श्रमिकों की सुरक्षा के प्रति उपेक्षा का भी उदाहरण है। इसे बदलने के लिए तत्काल और ठोस कदम उठाने की जरूरत है।