वन संसाधन अधिकार देने में अब महासमुंद का नाम भी जुड़ा : गृह मंत्री साहू
10 लोगों को सौंपे सामुदायिक वन संसाधन और व्यक्तिगत वनाधिकार पत्र
महासमुन्द :- जिले में पहली बार वन अधिकारों की मान्यता अधिनियम 2006 के अन्तर्गत सामुदायिक वन संसाधन अधिकार पत्र मिलें। छत्तीसगढ़ के गृह एवं लोक निर्माण मंत्री ताम्रध्वज साहू ने 72 वें गणतंत्र दिवस के मौके पर व्यक्तिगत वनाधिकार और ग्रामसभा को सामुदायिक वन संसाधान अधिकार पत्र वितरण की शुरूआत की।
गृहमंत्री साहू जिला मुख्यालय में आयोजित मुख्य समारोह में ध्वजारोहण करने के बाद सर्किट हाऊस में संक्षिप्त कार्यक्रम में हितग्राहियों को व्यक्तिगत वनाधिकार और सामुदायिक वन संसाधान अधिकार पत्र वितरित किए। जिले में पहली बार सामुदायिक वन संसाधान अधिकार पत्र का वितरण किया गया है।
संक्षिप्त कार्यक्रम में 5 व्यक्तिगत वनाधिकार और 5 ग्रामसभा को सामुदायिक वन संसाधान अधिकार पत्र मिलें। इस प्रकार कुल दस वनाधिकार पत्र सौंपे गए। छत्तीसगढ़ उन अग्रणी राज्यों में से है जिनके वनाधिकार अधिनियम प्रावधानों को प्रमुखता से वनवासियों के हित में लागू किया गया है।
गृह मंत्री ताम्रध्वज साहू ने कहा कि सामुदायिक वन संसाधन अधिकार पत्र देने में अब छत्तीसगढ़ के महासमुंद का नाम भी जुड़ गया है। उन्होंने कहा की गणतंत्र दिवस से ये पाॅचों ग्राम सामुदायिक वन संसाधन अधिकार मिलने पर जंगल, जंगली जानवर तथा जैव विविधता की सुरक्षा एवं संरक्षण तथा उसको पुनर्जीवित एवम् प्रबंधन करने के लिए अधिकृत हो गई हैं। उन्होंने व्यक्तिगत वनाधिकार मान्यता प्राप्त हितग्राहियों को बधाई और शुभकामनाएं दी।
सामुदायिक वन संसाधन अधिकार दावा हक के विकासखण्ड बागबाहरा के ग्रामों/दावेदारों बकमा, सिर्री पठारीमुड़ा, पण्डरीपानी, टेढ़ीनाला और द्वारतलाकला को 675.763 रकबा हेक्टेयर वितरण किया गया। इसी प्रकार व्यक्ति वनाधिकार पत्र ग्राम गुलझर सुश्री बेदन बाई, दाबपाली के कंगलू राम, फुलझर के सालिक, टोंगोपाली कला के दो लोग नंदलाल और रतिराम को व्यक्तिगत वनाधिकार पत्र सौपें इनका रकबा 3.490 रकबा हेक्टेयर हैं।
इस अवसर पर कलेक्टर डोमन सिंह, वनमण्डलाधिकारी पंकज राजपूत, पुलिस अधीक्षक प्रफुल्ल कुमार ठाकुर, सहायक आयुक्त, आदिवासी विकास एन.आर.देवांगन, जिला पंचायत अध्यक्ष ऊषा पटेल, डॉ.रश्मि चंद्राकर सहित जनप्रतिनिधि उपस्थित थे।
मालूम हो कि कलेक्टर डोमन सिंह की अध्यक्षता में जिला स्तरीय वन अधिकार समिति की बैठक इसी माह की 15 जनवरी को कलेक्ट्रेट के सभाकक्ष में हुई। बैठक में समिति द्वारा व्यक्तिगत वनाधिकार, सामुदायिक वनाधिकार और सामुदायिक वन संसाधन सहित कुल 122 प्रकरण की कुल 17102.45 हेक्टेयर जमीन रकबा का वन भूमि पट्टा देने का अनुमोदन जिला स्तरीय वन अधिकार समिति की बैठक में किया गया।
सामुदायिक वन संसाधन अधिकार (सीएफआर) मिलने पर ग्राम सभा के अधिकार
ग्राम सभा सामुदायिक वन संसाधन अधिकार मिलने पर जंगल, जंगली जानवर तथा जैव विविधता की सुरक्षा एवं संरक्षण तथा उसको पुनर्जीवित एवम् प्रबंधन करने के लिए अधिकृत हो जाती है। ग्राम सभा इस हेतु वन अधिकार नियम 2007 की नियम 4 (1) (डी) के अंतर्गत ग्राम वन प्रबंधन कार्ययोजना भी बना सकती है। ग्राम सभा वन के प्रबंधन के लिए अपनी कार्ययोजना, प्रबंध योजना तथा सूक्ष्म योजना स्वयं से स्थानीय लोगों द्वारा समझ सकने वाली भाषा में तैयार कर सकती है। साथ ही ग्राम सभा वन विभाग द्वारा तैयार किए जाने वाले कार्य योजना, प्रबंधन योजना राज्य एवं जिले के लक्ष्यों को ध्यान में रखतें हुए वन विभाग के तकनीकी सहयोग से बनाया जा सकता है।
वन मण्डलाधिकारी पंकज राजपूत ने बताया कि वनाधिकार अधिनियम के धाराओं के अंतर्गत ग्रामसभा अपनी समझ के अनुसार वन्य जीव, वन और जैव विविधता के विरूद्ध किए जाने वाले कार्यों एवं क्रियाकलापों पर रोक लगा सकती है। साथ ही वन के आसपास रहने वालों या वन्य वासियों के निवास को किसी भी रूप से संरक्षित करने के लिए एवं अपनी सांस्कृति एवं प्राकृतिक विरासतों को सुरक्षित करने के निर्णय ले सकते है। छत्तीसगढ़ उन अग्रणी राज्यों में से है जिनके वनाधिकार अधिनियम प्रावधानों को प्रमुखता से वनवासियों के हित में लागू किया गया है।