शराब घोटाला: 7 दिनों की रिमांड पर भेजे गए कवासी लखमा, गहन जांच की तैयारी
रायपुर: छत्तीसगढ़ के बहुचर्चित शराब घोटाले में प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने बड़ी कार्रवाई करते हुए पूर्व आबकारी मंत्री कवासी लखमा को रिमांड पर लेने की अनुमति अदालत से प्राप्त कर ली है। आगामी 7 दिनों तक ED की टीम लखमा से गहन पूछताछ करेगी। इस दौरान उनके खिलाफ मिले साक्ष्यों की पुष्टि की जाएगी। हालांकि, उनके बेटे हरीश लखमा की गिरफ्तारी अभी नहीं हुई है।
कोर्ट में लखमा का बयान
कोर्ट में पेशी के दौरान कवासी लखमा ने जोर देकर कहा, “मेरे पास से कोई नकद राशि नहीं मिली और न ही कोई दस्तावेज। मुझ पर लगाए गए आरोप पूरी तरह से राजनीति से प्रेरित हैं। शाह, मोदी और बीजेपी की सरकार मुझे झूठे मामलों में फंसाकर परेशान कर रही है। मैं बस्तर की आवाज हूं और उसे उठाता रहूंगा।”
ED की पूछताछ और सीए की अनुपस्थिति
ED ने कवासी लखमा को चार्टर्ड अकाउंटेंट (CA) के साथ पूछताछ के लिए बुलाया था, लेकिन उनके सीए की अनुपस्थिति के चलते लखमा अकेले ही दफ्तर पहुंचे। लखमा ने बताया कि उनके सीए किसी व्यक्तिगत कारण से उपलब्ध नहीं थे। पूछताछ के लिए लखमा अपने बेटे हरीश के साथ ED कार्यालय पहुंचे थे, लेकिन ED ने स्पष्ट किया कि इस मामले में हरीश को अभी गिरफ्तार नहीं किया गया है।
शराब घोटाले का विस्तृत विवरण
यह मामला 2019 से 2022 के बीच छत्तीसगढ़ सरकार की आबकारी नीति में हुए बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार से जुड़ा है।
- फर्जी होलोग्राम का इस्तेमाल:
सरकारी शराब की दुकानों पर नकली होलोग्राम लगाकर बड़ी मात्रा में अवैध शराब बेची गई। - घोटाले का प्रमुख सिंडिकेट:
ED की जांच में पाया गया है कि तत्कालीन भूपेश सरकार के दौरान IAS अधिकारी अनिल टुटेजा, आबकारी विभाग के एमडी एपी त्रिपाठी, और कारोबारी अनवर ढेबर के नेतृत्व में एक संगठित गिरोह (सिंडिकेट) ने शराब की बिक्री में घोटाले को अंजाम दिया। - राजस्व का भारी नुकसान:
इस सिंडिकेट के चलते राज्य के राजस्व को करोड़ों रुपये का नुकसान हुआ।
ED की जांच की दिशा
ED ने इस घोटाले में ACB की FIR के आधार पर जांच शुरू की है, जिसमें दो हजार करोड़ रुपये से अधिक के घोटाले का आरोप है। ED ने दावा किया है कि सरकारी पदों और अधिकारों का दुरुपयोग करके यह घोटाला किया गया। ACB से प्राप्त जानकारी के अनुसार, इस दौरान चुनिंदा ग्रुप की शराब को ही सरकारी दुकानों में बेचा गया, जिससे बाजार में प्रतिस्पर्धा समाप्त हो गई।
क्या खुला ED की चार्जशीट में?
- अनिल टुटेजा की भूमिका:
IAS अधिकारी अनिल टुटेजा पर भ्रष्ट सिंडिकेट का प्रमुख हिस्सा होने का आरोप है। - संगठित भ्रष्टाचार का खुलासा:
आबकारी नीति के तहत नकली होलोग्राम के माध्यम से शराब की बिक्री सुनिश्चित की गई। - बड़ी योजना के तहत घोटाला:
सरकारी शराब दुकानों में केवल चुनिंदा समूहों की शराब बिकने दी गई, जिससे अन्य कंपनियों को मौका ही नहीं दिया गया।
लखमा का पक्ष
कवासी लखमा ने बार-बार कहा कि वह कानून का पालन करते आए हैं और ED द्वारा पूछे गए हर सवाल का उत्तर देंगे। उन्होंने अपनी बात रखते हुए कहा, “मैंने कभी भी किसी प्रकार के घोटाले में हिस्सा नहीं लिया। कानून के आधार पर मैं 25 बार भी बुलाए जाने पर आऊंगा।”
ED की अगली योजना
ED इस मामले में आगामी 7 दिनों के भीतर पूछताछ का दायरा बढ़ाकर अन्य संभावित आरोपियों और साक्ष्यों को जांच में शामिल करने की तैयारी कर रही है। कवासी लखमा से पूछताछ के दौरान कई अनसुलझे सवालों का जवाब मिलने की उम्मीद है।
यह घोटाला छत्तीसगढ़ के राजनीतिक और प्रशासनिक ढांचे पर गंभीर सवाल उठाता है। कवासी लखमा जैसे बड़े नेता के मामले में ED की जांच आगे क्या खुलासा करती है, यह न केवल इस मामले का भविष्य तय करेगा, बल्कि इससे जुड़े अन्य रसूखदार लोगों के खिलाफ भी कार्रवाई की दिशा तय करेगा।