“भारत-चीन सीमा विवाद: सैनिकों की वापसी पर समझौते के लागू होने में चीनी सेना ने जताई प्रगति”

India-China:  भारत और चीन के बीच चार साल से अधिक समय से जारी पूर्वी लद्दाख में सीमा विवाद और सैनिकों की तैनाती को लेकर चल रहे गतिरोध को समाप्त करने के लिए दोनों देशों के बीच एक महत्वपूर्ण समझौता हुआ था, जिसका कार्यान्वयन तेजी से हो रहा है। इस समझौते के तहत, दोनों देशों ने सीमा पर तनाव कम करने और सैनिकों को पीछे हटाने का फैसला किया, जो 2020 में हुए संघर्ष के बाद से एक स्थायी समस्या बनी हुई थी। चीनी रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता सीनियर कर्नल वू कियान ने गुरुवार को इस समझौते की प्रगति की जानकारी दी और इसे लागू करने में हुई सफलता को स्पष्ट रूप से रेखांकित किया।

समझौते का लागू होना और प्रगति

चीन और भारत दोनों इस समझौते के कार्यान्वयन में तेजी से प्रगति कर रहे हैं। सीनियर कर्नल वू कियान ने बताया कि दोनों देशों की सेनाएं पूर्वी लद्दाख क्षेत्र से अपनी तैनाती को वापस बुलाने के लिए संकल्पित हैं। चीन के रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता ने यह भी कहा कि दोनों देशों के रक्षा मंत्रियों के बीच हाल ही में वियतनाम में हुई एक सकारात्मक बैठक में इस समझौते के क्रियान्वयन पर चर्चा की गई थी। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और चीनी समकक्ष एडमिरल डोंग जून के बीच यह वार्ता मुख्य रूप से सैन्य संबंधों में सुधार और सामंजस्यपूर्ण तालमेल बनाने पर केंद्रित रही।

समझौते के महत्व और उम्मीदें

वू कियान ने इस बात पर जोर दिया कि दोनों देशों के शीर्ष नेताओं के बीच इस समझौते को लेकर बनी सहमति को लागू किया जा रहा है। उन्होंने कहा, “हम इस दिशा में काफी प्रगति कर चुके हैं।” उनका यह भी मानना था कि यह समझौता दोनों देशों के बीच सैन्य संबंधों को मजबूती प्रदान करने और क्षेत्रीय शांति बनाए रखने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम होगा। चीनी प्रवक्ता ने इस प्रक्रिया में तेजी लाने और सैनिकों की तैनाती में सुधार की संभावना जताई, जिससे दोनों देशों के बीच की सीमाओं पर तनाव कम हो सके।

पिछला महीना: समझौते की मंजूरी

भारत और चीन के बीच इस समझौते पर अंतिम रूप से 21 अक्टूबर को विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने दिल्ली में घोषणा की थी। उन्होंने बताया कि महीनों तक चलने वाली बातचीत के बाद दोनों देशों ने सीमा पर गश्त और सैनिकों की वापसी के समझौते को अंतिम रूप दिया। यह समझौता विशेष रूप से पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर सैनिकों के पीछे हटने और शांति स्थापना के उद्देश्य से महत्वपूर्ण साबित हो सकता है। यह समझौता भारत-चीन के संबंधों में सुधार की दिशा में एक बड़ी सफलता मानी जा रही है, जो पिछले कुछ वर्षों में कई बार तनावपूर्ण हो चुके थे।

भारत और चीन के बीच सैन्य संबंधों का भविष्य

इस समझौते के बाद, दोनों देशों के बीच सामरिक और सैन्य संबंधों में नई गति और सुधार की संभावना है। चीन और भारत दोनों ही इस अवसर का उपयोग करते हुए सैन्य सहयोग और संवाद को बढ़ावा देने की उम्मीद कर रहे हैं, ताकि भविष्य में इस तरह के विवादों से बचा जा सके। दोनों देशों के अधिकारी इस बात की उम्मीद करते हैं कि यह समझौता उनकी सैन्य रणनीतियों को और मजबूत करेगा और सीमा क्षेत्रों में शांति का माहौल बनाए रखेगा।

यह समझौता न केवल सीमा पर शांति को बढ़ावा देने का एक प्रयास है, बल्कि यह दोनों देशों के बीच संबंधों में स्थिरता लाने का भी एक महत्वपूर्ण कदम साबित हो सकता है।