भारत की धरोहर को वैश्विक पहचान, यूनेस्को की अस्थायी सूची में छह नए ऐतिहासिक स्थल शामिल
नई दिल्ली : भारत की ऐतिहासिक और सांस्कृतिक धरोहरों को वैश्विक स्तर पर मान्यता देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाया गया है। केंद्रीय पर्यटन मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने लोकसभा में जानकारी देते हुए बताया कि यूनेस्को ने भारत के छह नए स्थलों को अस्थायी विश्व धरोहर केंद्रों की सूची में शामिल किया है। इन स्थलों में छत्तीसगढ़ के कांगर घाटी नेशनल पार्क, मौर्य रूट पर स्थित अशोक शिलालेख, प्रसिद्ध चौसठ योगिनी मंदिर और उत्तर भारत के गुप्त कालीन मंदिर स्थल शामिल हैं। इनके अलावा, तेलंगाना के मुदुमल मेगालिथिक मेनहिर और उत्तर प्रदेश व मध्य प्रदेश में स्थित बुंदेलकालीन महल-किले भी इस सूची में स्थान पाने में सफल हुए हैं।
केंद्रीय मंत्री ने बताया कि भारत में अब कुल 62 स्थल अस्थायी विश्व धरोहर सूची में शामिल हो चुके हैं, जो भविष्य में यूनेस्को की मुख्य विश्व धरोहर सूची में स्थान प्राप्त करने के योग्य होंगे। गौरतलब है कि किसी भी ऐतिहासिक स्थल को यदि वैश्विक धरोहर के रूप में मान्यता दिलानी हो, तो उसे पहले अस्थायी सूची में शामिल करना अनिवार्य होता है। वर्तमान में भारत के कुल 43 केंद्र यूनेस्को की विश्व धरोहर सूची में दर्ज हैं, जिनमें से 35 सांस्कृतिक, सात प्राकृतिक और एक मिश्रित श्रेणी में आते हैं।
इससे पहले, भारत ने 2024 में पहली बार यूनेस्को की विश्व धरोहर समिति की बैठक की मेजबानी की थी, जिसमें असम के अहोम राजवंश के शाही दफन स्थल ‘मोइदम’ को प्रतिष्ठित यूनेस्को टैग प्रदान किया गया था। इसी तरह, तेलंगाना के नारायणपेट जिले में स्थित मुदुमल मेगालिथिक मेनहिर को भी इस सूची में जगह मिली, जो करीब 3500-4000 साल पुराने हैं। वर्तमान में, तेलंगाना से केवल रामप्पा मंदिर को ही यूनेस्को की मुख्य विश्व धरोहर सूची में शामिल किया गया है।
यूनेस्को की इस अस्थायी सूची में शामिल होने से इन ऐतिहासिक स्थलों को वैश्विक पहचान मिलेगी और इनके संरक्षण व पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर विशेष प्रयास किए जाएंगे। यह न केवल भारत की समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर को संरक्षित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है, बल्कि इससे देश में पर्यटन और आर्थिक गतिविधियों को भी बल मिलेगा।