“विदेश मंत्री एस जयशंकर का संदेश: भारत की कूटनीति, विकास की गति और रणनीतिक स्वायत्तता को बनाए रखने की आवश्यकता”
मुंबई: भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने शनिवार को 19वें ‘नानी ए पालकीवाला मेमोरियल लेक्चर’ में भाग लेते हुए भारतीय विदेश नीति की दिशा और कूटनीति में हो रहे महत्वपूर्ण बदलावों पर विस्तृत चर्चा की। अपने संबोधन में, उन्होंने खासकर अंतर्राष्ट्रीय व्यापार, सामरिक संबंधों और वैश्विक स्थिरता के संदर्भ में भारत की स्थिति को लेकर महत्वपूर्ण विचार साझा किए। उन्होंने यह भी बताया कि वैश्विक स्तर पर संसाधनों और वित्तीय संस्थानों का दुरुपयोग हथियार के रूप में किया जा रहा है, जो एक चुनौती के रूप में उभरा है।
विदेश मंत्री ने यह माना कि वर्तमान में भारत के सामने विकास की गति बनाए रखना बड़ी चुनौती है, विशेष रूप से वैश्विक मुश्किलों और बाहरी आर्थिक खतरों के बीच। इसके लिए भारत को सिर्फ घरेलू विकास ही नहीं, बल्कि आर्थिक आधुनिकीकरण और बाहरी जोखिम को नियंत्रित करने की आवश्यकता है। इस संदर्भ में उन्होंने भारत के स्थिर राजनीतिक माहौल, समावेशी विकास और सुधारों की दिशा में किए गए प्रयासों को सकारात्मक तौर पर बताया। हालांकि, उन्होंने यह भी जोर दिया कि भारत को उत्पादन, खाद्य और स्वास्थ्य सुरक्षा पर अधिक ध्यान देने की जरूरत है, ताकि इसका विकास और प्रतिस्पर्धा कायम रह सके।
जयशंकर ने विशेष रूप से रणनीतिक स्वायत्तता के महत्व पर जोर दिया और कहा कि भारत को उभरती हुई प्रौद्योगिकियों में पीछे नहीं रहना चाहिए। साथ ही, भारत को इस तरह की रणनीतिक स्वायत्तता बनाए रखने के दौरान यह सुनिश्चित करना चाहिए कि यह पश्चिम विरोधी न बने, बल्कि अपने हितों के प्रति सजग और स्वतंत्र दृष्टिकोण बनाए रखे। उन्होंने यह स्पष्ट किया कि भारत की वैश्विक छवि एक विश्वबंधु देश के रूप में बन रही है, जो सभी के लिए दोस्ती और सहयोग का प्रतीक है।
इसके अतिरिक्त, विदेश मंत्री ने पिछले दस वर्षों में भारतीय कूटनीति के महत्वपूर्ण विकास की समीक्षा करते हुए यह बताया कि ध्रुवीकृत वैश्विक माहौल में भारत की विचारशील नीति, उसके मित्र देशों से बेहतर रिश्तों की स्थापना और क्षेत्रीय देशों के साथ मजबूत संवाद के परिणामस्वरूप भारत की कूटनीतिक सफलता की एक नई मिसाल सामने आई है। उन्होंने खाड़ी देशों, अफ्रीका और कैरेबियाई देशों से भारत के बढ़ते संबंधों की ओर भी संकेत किया, जो इसकी कूटनीतिक क्षमता के विस्तार का प्रमाण हैं।
उनके मुताबिक, भारत की कूटनीति की सफलता को देखते हुए अब दुनिया में यह स्पष्ट रूप से स्थापित हो चुका है कि भारत समन्वय और सौहार्द की ओर काम करता है, और इसे अधिक से अधिक दोस्तों को प्राप्त करने के साथ-साथ समस्याओं को भी कम करने की दिशा में बढ़ाना चाहिए।