“यूनुस की चूक से बांग्लादेश ने अपने ही पैरों पर मारी कुल्हाड़ी, दुश्मन के चाल में उलझा देश”
प्रोफेसर मुहम्मद यूनुस के नेतृत्व में बांग्लादेश की अंतरिम सरकार ने हाल ही में एक विवादास्पद निर्णय लेते हुए भारत समेत पांच देशों से अपने राजनयिकों को वापस बुलाने का आदेश दिया है। यह निर्णय न केवल बांग्लादेश के अंतरराष्ट्रीय संबंधों में एक महत्वपूर्ण मोड़ को दर्शाता है, बल्कि भारत और बांग्लादेश के बीच के रिश्तों में खटास को और बढ़ा देता है। यूनुस सरकार का यह कदम एक नई कूटनीतिक दिशा में बढ़ने की कोशिश के रूप में देखा जा रहा है, जिसमें नई दिल्ली, ब्रुसेल्स, कैनबरा, लिस्बन और न्यूयॉर्क में तैनात बांग्लादेश के दूतों को वापस बुलाने का संकेत है कि वे पूर्व की स्थायी नीति को त्यागने के लिए तैयार हैं।
इस कदम के साथ ही, यूनुस सरकार ने बांग्लादेश नेशनल बोर्ड ऑफ रेवेन्यू (NBR) के माध्यम से पाकिस्तान से आयात होने वाले सभी सामानों के लिए अनिवार्य भौतिक निरीक्षण को समाप्त कर दिया है। यह निर्णय पाकिस्तान के साथ बांग्लादेश के व्यापारिक रिश्तों में एक महत्वपूर्ण बदलाव लाता है। अब पाकिस्तान से आने वाले सामान बिना किसी गहन जांच के बांग्लादेश में प्रवेश कर सकेंगे, जिससे इस बात की आशंका बढ़ गई है कि अवैध हथियारों और गोला-बारूद की तस्करी को बढ़ावा मिल सकता है।
पाकिस्तानी मीडिया की रिपोर्टें इस निर्णय को व्यापारिक गतिविधियों में तेजी लाने के रूप में पेश कर रही हैं, लेकिन भारतीय सुरक्षा विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि इससे आतंकवादी गतिविधियों को बढ़ावा मिल सकता है। बांग्लादेश के लिए यह एक चिंता का विषय है, क्योंकि पाकिस्तान में आतंकवाद की जड़ें गहरी हैं। यह कदम न केवल बांग्लादेश के भीतर सुरक्षा चुनौतियों को बढ़ा सकता है, बल्कि क्षेत्रीय स्थिरता को भी खतरे में डाल सकता है।
यूनुस सरकार के इस निर्णय के पीछे एक महत्वपूर्ण पृष्ठभूमि भी है, जिसमें पिछले महीने न्यूयॉर्क में पाकिस्तानी प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ के साथ हुई बैठक शामिल है। इस मुलाकात के बाद से बांग्लादेश की नीति और उसके इरादों पर सवाल उठने लगे हैं। पिछले 15 वर्षों से बांग्लादेश में शेख हसीना की सरकार के साथ भारत के अच्छे संबंध रहे हैं, लेकिन उनकी सरकार के गिरने के बाद से दोनों देशों के बीच रिश्तों में स्पष्ट खटास देखने को मिल रही है।
इस नई स्थिति ने बांग्लादेश के लिए कई चुनौतियाँ उत्पन्न की हैं, क्योंकि भारत के लिए बांग्लादेश का भौगोलिक और रणनीतिक महत्व बहुत अधिक है। बांग्लादेश का स्थान भारत के पूर्वोत्तर राज्यों को बंगाल की खाड़ी से जोड़ने के लिए महत्वपूर्ण है, और ऐसे में इन संबंधों में बिगाड़ बांग्लादेश की स्थिरता को प्रभावित कर सकता है।
विशेषज्ञों का मानना है कि यूनुस के इस कदम ने बांग्लादेश की सुरक्षा स्थिति को खतरे में डाल दिया है। इसके साथ ही, यह भारत के लिए भी एक गंभीर चिंता का विषय बन गया है। इस प्रकार, यह निर्णय भविष्य में दोनों देशों के बीच संवाद और सहयोग की संभावनाओं को सीमित कर सकता है, जो क्षेत्रीय स्थिरता के लिए आवश्यक हैं। बांग्लादेश के लिए यह समय अपनी कूटनीतिक पहचान को पुनः स्थापित करने का है, अन्यथा यह अपने ही किए गए निर्णयों के परिणामों का सामना करने के लिए मजबूर हो सकता है।