एच-1बी वीजा पर डोनाल्ड ट्रंप का नया रुख: एलन मस्क और विवेक रामास्वामी का समर्थन

 वॉशिंगटन:  अमेरिका में एच-1बी वीजा को लेकर चल रही बहस ने हाल ही में नया मोड़ लिया है, जब नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने इस मुद्दे पर उद्योगपति एलन मस्क और भारतीय मूल के विवेक रामास्वामी का समर्थन किया। एच-1बी वीजा, जो अमेरिका में उच्च शिक्षित और प्रशिक्षित विदेशी पेशेवरों को काम करने की अनुमति देता है, ट्रंप समर्थकों के विरोध का केंद्र बन चुका है। इसके बावजूद, ट्रंप ने हाल ही में एक मीडिया इंटरव्यू में स्पष्ट रूप से कहा कि उन्हें एच-1बी वीजा कार्यक्रम हमेशा पसंद रहा है और उन्होंने इसे बनाए रखने का समर्थन किया है।

यह बयान ऐसे समय में आया है जब आव्रजन नीति को लेकर अमेरिका में भारी विवाद चल रहा है। ट्रंप, जिन्होंने अपने चुनावी अभियान के दौरान अवैध प्रवासियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई का वादा किया था, अब उच्च कौशल वाले वीजा कार्यक्रम के पक्ष में खड़े हैं। उन्होंने कहा कि यह कार्यक्रम अमेरिका को कुशल विदेशी पेशेवरों से जोड़ने और वैश्विक प्रतिस्पर्धा में आगे बनाए रखने के लिए आवश्यक है।

दूसरी ओर, एलन मस्क, जिन्होंने सिलिकॉन वैली में नवाचार और टेक्नोलॉजी को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है, ने भी इस नीति का खुला समर्थन किया है। मस्क ने कहा कि अमेरिका को बेहतरीन प्रतिभाओं को आकर्षित करने की आवश्यकता है, क्योंकि देश में उच्च प्रशिक्षित इंजीनियर और वैज्ञानिकों की कमी है। उन्होंने निकोला टेस्ला का उदाहरण देते हुए कहा कि एक अप्रवासी की खोजों ने अमेरिका को बिजली उत्पादन और उसके उपयोग में अग्रणी बनाया। मस्क के अनुसार, दुनिया के सर्वश्रेष्ठ प्रतिभाशाली लोगों को अमेरिका की ओर आकर्षित करने से देश को मजबूत बनाए रखने में मदद मिलेगी।

इस बहस में विवेक रामास्वामी ने भी एच-1बी वीजा के पक्ष में अपने विचार प्रकट किए। उन्होंने इसे अमेरिकी तकनीकी उद्योग के विकास के लिए अनिवार्य बताया। भारतीय मूल के राजनेता रामास्वामी और मस्क के विचार उन ट्रंप समर्थकों के विरोधाभास में हैं, जो आव्रजन नीति को सख्त बनाए रखने के पक्षधर हैं।

हालांकि, इस मुद्दे ने ट्रंप के कुछ पारंपरिक समर्थकों को असहज कर दिया है। कट्टरपंथी समर्थक लॉरा लूमर ने ट्रंप द्वारा भारतवंशी श्रीराम कृष्णन को आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस मामलों का सलाहकार नियुक्त करने पर सवाल उठाए। उनका मानना है कि यह कदम ट्रंप की आव्रजन नीतियों के मूल सिद्धांतों के खिलाफ है। दूसरी तरफ, मस्क का मानना है कि टैलेंट को लेकर किसी प्रकार की भेदभावपूर्ण नीति अपनाना अमेरिका के विकास को प्रभावित करेगा।

ट्रंप के इस नए रुख ने यह संकेत दिया है कि वे कुशल अप्रवासियों को अमेरिका में स्थान देकर देश की प्रगति को प्राथमिकता देंगे। यह विवाद अमेरिकी टेक्नोलॉजी इंडस्ट्री, राजनीति, और वैश्विक प्रतिस्पर्धा को प्रभावित करने वाले महत्वपूर्ण पहलुओं पर ध्यान केंद्रित करता है।