“देशभर में डेंगू-मलेरिया का कहर: मानसून के बाद मच्छर जनित बीमारियों का बढ़ता खतरा, कैसे करें पहचान और बचाव?”

नई दिल्ली:  देशभर में मच्छर जनित बीमारियों का प्रकोप इस समय कई राज्यों को प्रभावित कर रहा है, खासकर मानसून के बाद बढ़ते मामलों के कारण लोगों में चिंताएं बढ़ी हैं। डेंगू और मलेरिया जैसी बीमारियां अधिक बारिश और जलजमाव के कारण तेजी से फैल रही हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि इस बार मानसून के प्रभाव से बाढ़ और जलजमाव की स्थिति ज्यादा बनी, जिससे मच्छरों का प्रकोप भी बढ़ा है।

कर्नाटक और असम जैसे राज्यों में डेंगू के मामलों ने पिछले कई वर्षों के रिकॉर्ड तोड़ दिए। दिल्ली-एनसीआर में भी डेंगू और मलेरिया के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। उत्तर प्रदेश के लखनऊ शहर में मलेरिया और डेंगू से पीड़ित मरीजों की संख्या में खासा इजाफा देखा गया है। वहां के स्वास्थ्य अधिकारियों के अनुसार, अकेले एक दिन में 39 नए डेंगू और तीन मलेरिया के मामले सामने आए, जिससे मच्छर जनित रोगों का कुल आंकड़ा 837 तक पहुंच गया। इसमें डेंगू के 429 और मलेरिया के 408 मामले शामिल हैं।

राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में भी हालात चिंताजनक बने हुए हैं। डेंगू और मलेरिया दोनों के मामलों में बढ़ोतरी देखी गई है। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, 20 सितंबर तक दिल्ली में डेंगू के 1,229 मामले दर्ज किए गए और दो मौतें भी हुईं। इसके साथ ही मलेरिया के 363 मामले भी सामने आए, जो पिछले वर्ष की तुलना में अधिक हैं।

डेंगू और मलेरिया दोनों ही गंभीर बीमारियां हैं, जिनके शुरुआती लक्षण एक जैसे होते हैं, जिससे लोग भ्रमित हो जाते हैं। डेंगू में अचानक तेज बुखार, सिरदर्द, आंखों में जलन, मांसपेशियों और जोड़ों में दर्द, और त्वचा पर लाल चकत्ते होने लगते हैं। गंभीर स्थिति में प्लेटलेट्स की संख्या कम होने से खून बहने का खतरा भी रहता है। दूसरी ओर, मलेरिया में भी तेज बुखार के साथ ठंड लगना, उल्टी, सूखी खांसी और बेहोशी की स्थिति हो सकती है। गंभीर मलेरिया में चेतना में कमी, सांस लेने में कठिनाई और पेशाब में खून आना भी देखा जा सकता है।

दोनों बीमारियों के बीच अंतर करना मुश्किल हो सकता है, लेकिन विशेषज्ञों के अनुसार, मलेरिया में शाम के समय बुखार बढ़ने और ठंड लगने की समस्या अधिक होती है, जबकि डेंगू में त्वचा पर दाने और मांसपेशियों में अधिक दर्द होता है। इसलिए, यदि आपको तेज बुखार की समस्या हो रही है, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क कर ब्लड टेस्ट कराएं, ताकि सही समय पर इलाज हो सके।